
घर के ऑगन के जाल पर रक्खी
माँ के हाथों की बनाई खीर
खुले बर्तन में जाली से ढकी,
और भी कुछ कुछ जतन करती
मानो रह न जाये चाँद से बरसी
अमृत की कोई भी बूंद।
हर शरद पूर्णिमा
याद दिला जाती है वह बचपन
और माँ की ढेर सारी यादें
मानो अमृत पिला कर हमें
अमर कर देना चाहती थी वो
न रही अब माँ –शायद
सबको खिला कर न बचा पायी
अपने लिए वह अमृत की खीर
सोचता हूँ कभी कभी मैं
कि अमर तो मैं भी नहीं
तो क्या झूठी थीं
माँ की सब बातें
फिर समझ आया मुझको
ये इनसान नहीं रिश्तो को
अमर करने की शरद् पूर्णिमा है
माँ तुझे नमन् करने की पूर्णिमा है।
(शरद पूर्णिमा के अवसर पर ईशान हॉस्पिटल के वरिष्ठ प्लास्टिक सर्जन डॉ कौशल कुमार की यह मर्मस्पर्शी कविता)
1
/
34
उत्तराखंड: क्यों गुपचुप तरीके से हुई यूट्यूबर सौरभ जोशी और अवंतिका भट्ट की शादी, देखिए सब कुछ!
उत्तराखंड से बड़ी खबर, माता के मंदिर से लौट रहें 29 यात्रियों से भरी बस खाई में गिरी, मौत!
Dharmendra Death Latest News: धर्मेंद्र अब नहीं रहे! रोते हुए श्मशान घाट पहुंचा परिवार, Video
उत्तराखंड में बड़ा हादसा! हंसी- खुशी शादी में जा रहें, तीन शिक्षकों की एक साथ मौत! viral videoदेखें!
दुखद! हल्द्वानी में शादी के महज 15 दिन बाद दूल्हे की मौत से परिवार बेहाल..देखें मामला video..
बड़ा खुलासा..!हल्द्वानी में अभी तक इतने बाहरी लोगों को बनाया गया उत्तराखंड का निवासी! video देखें..
1
/
34


Subscribe Our Channel











