बेसिक स्कूलों को भेजे गए फंड में 53 स्कूलों ने खूब गोलमाल किया। अधिकांश में घटिया सामान खरीदा गया। बहुत से स्कूलों ने तो फंड का पूरी तरह से इस्तेमाल ही नहीं किया। वहीं तमाम स्कूल तो ऐसे हैं जिन्होंने फंड से ज्यादा के फर्जी बिल लगा डाले। जांच में फंसे स्कूलों से बीएसए ने 23 अक्टूबर तक बिल वाउचर मांगे हैं। शिक्षक संघ ने शिक्षकों का पक्ष सुने जाने पर खुशी जताई है।
बेसिक स्कूलों में सुधार के लिए शासन ने कंपोजिट स्कूल ग्रांट, पुस्तकालय और खेल सामग्री खरीद के लिए पैसा जारी किया था। कंपोजिट ग्रांट के रूप में 10 हजार से लेकर 75 हजार रुपया तक भिजवाया गया। पुस्तकालय और खेल सामग्री के प्राइमरी स्कूल को पांच हजार और जूनियर को दस हजार रुपये भिजवाए गए। आवंटित धनराशि के गोलमाल की शिकायत प्रभारी मंत्री के सामने उठीं तो जांच शुरू हो गई। सीडीओ ने अभी तक 300 स्कूलों की जांच कराई है। इसमें से 53 में गड़बड़ निकली है। जांच के समय 20 स्कूलों ने अपने बिल वाउचर ही उपलब्ध नहीं कराए। तमाम ने जाच में सहयोग भी नहीं किया। इन स्कूलों से बुधवार तक बिल वाउचर मांगे गए हैं।
फर्जीवाड़ा करते हुए दे दिए ज्यादा के बिल
कुछ स्कूलों ने तो फर्जीवाड़ा की सारी हदें पार करते हुए आंवटित बजट से ज्यादा पैसा तक खर्च में दिखा डाला। प्राथमिक स्कूल नौगवां ने 50 हजार के सापेक्ष 74685 का व्यय दिखाया। प्राथमिक स्कूल बीथम नौगवां ने भी 50 हजार के सापेक्ष 63188 रुपये का खर्च दिखा डाला। गोविंदपुर स्कूल में 50 हजार की जगह 59910 के खर्च के बिल प्रस्तुत कर डाले। मुतलकपुर स्कूल ने 75 हजार के सापेक्ष 99285 रुपये का खर्च दिखाया। पट्टी कुर्की स्कूल ने 75000 के सापेक्ष 85955 का बिल दिखाया। भुड़िया ने 50 हजार के सापेक्ष 68201 का बिल लगा दिया। जूनियर हाईस्कूल बल्लाकोठा में 50 हजार के सापेक्ष 64454 रुपये के बिल लगाए गए।
जरा पढ़िए स्कूलों के गोलमाल
* जूनियर हाईस्कूल मुड़िया अहमदनगर में बागवानी संबंधी सामान खरीदा। इसकी गुणवत्ता बेहद खराब मिली। स्वच्छता किट का व्यय बाउचर हार्डवेयर और सिलाई स्टोर से लिया गया। खेलकूद सामग्री की गुणवत्ता भी बेहद खराब थी।
*जूनियर हाईस्कूल राई नवादा में अधिकांश बिल वाउचर स्वहस्तलिखित मिले। आरएस ट्रेडिंग कंपनी के फोटो स्टेट बिल पर पैन से स्कूल का नाम लिखा गया। सैदपुर बहादुरपुर में भी हस्तलिखित बिल मिले।
* जूनियर हाईस्कूल अहलादपुर में 50 हजार की जगह 39485 रुपये खर्च किए गए। रंगाई, पुताई और पेंटिंग काम में फर्जी खर्च दिखाया गया। 183 के सापेक्ष 151 किताबें ही बोरों में बंद पाई गईं।
* प्राथमिक स्कूल बनैनिया ने कंपोजिट ग्रांट में निर्धारित मदों के अतिरिक्त 50 हजार रुपये का अनियमित खर्च कर डाला। इसमें 29600 रुपये की ईंट, आठ हजार ईंट बिछाने का खर्च और 9990 रुपये बालू पर खर्च किए गए। जबकि इसकी इजाजत नहीं थी।