देहरादून: प्रदेश सरकार ने ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) को महामारी और सूचीबद्ध बीमारी घोषित कर दिया है। इसके साथ ही सरकार ने इसके इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा एंफोटेरेसिन-बी के वितरण को लेकर संशोधित मानक प्रचालन कार्यविधि (एसओपी) जारी कर दी है। यह साफ किया गया है कि यह दवा केवल जिला कोविड अस्पताल और सरकारी मेडिकल कालेज अथवा संस्थाओं को ही जारी की जाएगी। अस्पताल इस दवा के लिए सरकारी कार्यालयों के खुलने की अवधि के दौरान कभी भी आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए कुमाऊं मंडल में डा. रश्मि पंत और गढ़वाल मंडल में डा. कैलाश गुंजियाल को नोडल अधिकारी बनाया गया है।
प्रदेश में बीते कुछ दिनों से ब्लैक फंगस के मामले बढ़ रहे हैं। इससे होने वाली मौत के मामले भी बढऩे लगे हैं। इसे देखते हुए प्रदेश सरकार ने इसे महामारी घोषित कर दिया है। सचिव स्वास्थ्य पंकज कुमार पांडेय ने इस संबंध में जारी आदेश में कहा कि ब्लैक फंगस बीमारी कोरोना के साइड इफेक्ट के रूप में सामने आ रही है। ब्लैक फंगस और कोरोना का एकीकृत इलाज किए जाने के दृष्टिगत इसे कोरोना के अंतर्गत ही महामारी व सूचीबद्ध बीमारी घोषित किया जाता है। ब्लैक फंगस को कोरोना के अंतर्गत महामारी घोषित करने से इसके अटल आयुष्मान योजना व आयुष्मान भारत योजना में मुफ्त इलाज का रास्ता भी साफ हो गया है।
इसके साथ ही शासन ने इसके इलाज में इस्तेमाल की जाने वाले दवा एंफोटेरेसिन-बी के उपयोग को लेकर संशोधित गाइडलाइन जारी कर दी है। अभी केंद्र ने उत्तराखंड सरकार को पहली खेप के रूप में एंफोटेरेसिन-बी की 50 डोज भेजी है। ये अब समाप्त होने की कगार पर है। संशोधित एसओपी में स्पष्ट किया गया है कि यह दवा केवल जिला कोविड अस्पताल, सरकारी मेडिकल कालेज और संस्थानों को ही दी जाएगी। किसी निजी अस्पताल और व्यक्तिगत मांग पर यह उपलब्ध नहीं होगी। सचिव स्वास्थ्य डा पंकज कुमार पांडेय द्वारा जारी एसओपी के अनुसार दवा के लिए अस्पताल अथवा मेडिकल कालेज के डाक्टर मरीज के संबंध में पूरी जानकारी एक निश्चित प्रारूप में भरकर शासन द्वारा गढ़वाल व कुमाऊं में अधिकृत किए गए नोडल अधिकारियों को भेजेंगे। ये नोडल अधिकारी दवा का वितरण संपूर्ण धनराशि प्राप्त होने के बाद सुनिश्चित करेंगे।