देहरादून। उत्तराखंड के चकबंदी विभाग में एक बड़ा घोटाला सामने आया है। रुड़की के रहमतपुर गांव में एक दो नहीं बल्कि सात करोड़ के चकबंदी घोटाले की खबर सामने आ रही है। समाजसेवी जगजीवन राम ने इस घोटाले को उजागर किया है, जिसके बाद से ही विभाग और जिला प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है।
समाजसेवी जगजीवन राम के मुताबिक, रुड़की के रहमतपुर गांव के करीब दिल्ली से हरिद्वार के लिए बाईपास मार्ग बनना है, जिसके लिए एनएच बड़े पैमाने पर ग्रामीणों की जमीन खरीद रहा है। इसी कड़ी में चकबंदी विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से ग्राम समाज की जमीन कुछ भू-माफिया के नाम मात्र 7 दिनों में ही चढ़ा दी गई। ताकि ये जमीन भी एनएच खरीद ले और माफिया मालामाल हो जाएं।
जगजीवन राम के मुताबिक, 9 अप्रैल 2021 को चकबंदी विभाग में फाइल जमा की गई और 16 अप्रैल 2021 को उस पर ऑर्डर भी कर दिए गए। इसके साथ ही 19 अप्रैल 2021 को दाखिल-खारिज भी कर दिया गया। जबकि दाखिल-खारिज के बाद चकबंदी कोर्ट में फाइल चलनी चाहिए थी। खास बात यह है कि इस मामले को एसओसी ने गलत माना है,लेकिन, संबंधित फाइलों में उनके भी हस्ताक्षर हैं।
पूरे मामले में समाजसेवी जगजीवन राम का कहना है कि उन्होंने चकबंदी विभाग और भू-माफिया की पोल खोलते हुए मुख्यमंत्री तक से मामले की शिकायत की है। जिसमें जिला बंदोबस्त अधिकारी (एसओसी) दीवान सिंह नेगी ने सात दिन में ही मामले के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही है।
इस पूरे मामले में जिला बंदोबस्त अधिकारी दीवान सिंह नेगी ने कुछ भी बोलने से साफ इन्कार कर दिया। दीवान सिंह नेगी का कहना है कि मामले की सात दिनों में जांच कर दोषियों पर कार्रवाई होगी। लेकिन, सवाल यहां पर ये है कि जब जिला बंदोबस्त अधिकारी खुद दोषी हैं तो वह किस पर और कैसे कर्रवाई करेंगे।
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