हल्द्वानी । कुमाऊं के सबसे बड़े अस्पताल हल्द्वानी स्थित डा. सुशीला तिवारी अस्पताल में उपचार की व्यवस्था पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। उपनल कर्मचारियों की करीब एक महीने से जारी हड़ताल से अस्पताल की व्यवस्था बेपटरी हो चुकी है। स्टाफ की कमी से मरीजों की समुचित देखभाल नहीं हो पा रही है, जिसका खामियाजा गुरुवार को एक बार फिर एक परिवार को चुकाना पड़ गया। अस्पताल में भर्ती तीन साल के एक बच्चे की यहां मौत हो गई। परिजन अब अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आराेप लगा रहे हैं। उन्होंने प्राचार्य कार्यालय को शिकायती पत्र देकर मामले की जांच कराकर कार्रवाई की मांग भी की है।
मृतक बच्चे के पिता ऊधमसिंह नगर जिले के किच्छा नई बस्ती निवासी मुकेश ने बताया कि उनके बेटे कपिल को पेशाब नहीं आ रही थी। वह जांघ के पास दर्द की शिकायत कर रहा था, जिसके इलाज के लिए वह 24 सितंबर की शाम एसटीएच आए थे। रात में इमरजेंसी में दिखाने के बाद 25 सितंबर को उन्हें बच्चा वार्ड में कपिल को दिखाया। डाक्टरों ने भर्ती कराने की सलाह दी तो 26 सितंबर को उन्होंने बच्चे को अस्पताल में भर्ती करा दिया। अब घरवालों ने आरोप लगाया है कि डाॅक्टरों ने दवाएं मंगाने के बाद भी बच्चे को दवाएं नहीं दी, जिससे बुधवार रात बच्चे की परेशानी बढ़ गई। कई बार बुलाने पर भी रात में डाक्टरों ने बच्चे को देखा तक नहीं। इससे उसकी जान चली गई। अस्पताल स्टाफ व डाक्टरों की लापरवाही ने उनके बच्चे का मार डाला।
पखवाड़े भर पहले भी एक नवजात की हुई थी मौत
अस्पताल में करीब 15 दिन पहले भी एक नवजात की मौत हो गई थी। तब भी यहां के डॉक्टरों और स्टाफ पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगा था। तीसरी मंजिल में भर्ती नवजात की तबीयत रात में जब ज्यादा खराब हुई तो उसका पिता पहली मंजिल से लेकर ऊपर तीसरी मंजिल तक डॉक्टरों काे बुलाने के लिए चक्कर काटता रहा, मगर डॉक्टरों ने उनकी नहीं सुनी और बच्चे की जान चली गई थी। वहां लगे सीसीटीवी कैमरे में भी यह देखा जा सकता है कि किस कदर परेशान नवजात का पिता डॉक्टरों को बुलाने के परेशान होकर भाग दौड़ कर रहा था, मगर उसकी नहीं सुनी गई।
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