घर खरीदने के लिए लोग अपनी जीवन भर की कमाई का बड़ा हिस्सा लगा देते हैं। लेकिन आंखमूंदकर किसी भी परियोजना में अपनी पूंजी लगाना मुसीबत बन सकता है और वर्तमान समय में हजारों लोग इसका सामना कर रहे हैं। ऐसे में वित्त मंत्रालय सहित कुछ अन्य सरकारी वेबसाइट पर बिल्डर की वित्तीय हालत के बारे में पड़ताल करके घर खरीदने का फैसला कई परेशानियों से बचा सकता है।
यहां मिलेगा प्रॉपर्टी का रिकॉर्ड
परियोजना के विकास के लिए बिल्डर आमतौर पर बैंक या आवास ऋण बैंकिंग कंपनियों से कर्ज लेते हैं। आप बिल्डर से यह पता करें कि उसने किस कंपनी से कर्ज लिया है। इसके बाद सेंट्रल रजिस्ट्री ऑफ सिक्युरिटाइजेशन असेट रिकंस्ट्रक्शन ऐंड सिक्यॉरिटी इंट्रेस्ट ऑफ इंडिया (सीईआरएसएआई) की वेबसाइट पर उसकी पड़ताल जरूर करें। यह वेबसाइट वित्त मंत्रालय का वित्तीय सेवाओं का विभाग चलाता है और उन सभी प्रॉपर्टी का रेकॉर्ड रखता है जिनके लिए कर्ज लिए गए हैं।
रेरा की वेबसाइट पर भी करें पड़ताल
रेरा की वेबसाइट पर भी रियल एस्टेट परियोजना, बिल्डर, एजेंट, आर्किटेक्ट का नाम और परियोजना में शामिल बैंकों की जानकारी हासिल कर सकते हैं। इसके अलावा जमीन का विवरण बिल्डर द्वारा अपलोड किए गए दस्तावेज सहित अन्य जानकारियां भी यहां देख सकते हैं। रेरा नियमों के तहत हर तिमाही रिपोर्ट भी बिल्डर रेरा को मुहैया कराते हैं और उसे अपलोड करते हैं। आप इन जानकारियों की ऑनलाइन पड़ताल करने के साथ रेरा के अधिकारियों से मिलकर उस प्रॉपर्टी की हालत के बारे में भी जानकारी मांग सकते हैं।
कॉर्पोरेट मंत्रालय में बिल्डर का दस्तावेज
सरकार ने खरीदारों के हितों की सुरक्षा के लिए कई स्तर पर इसके लिए उपाय किए हुए हैं। आप जिस परियोजना में मकान खरीदना चाहते हैं उस कंपनी द्वारा कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय में सौंपे गए दस्तावेजों की पड़ताल कर सकते हैं। इस तरह के दस्तावेज मंत्रालय की वेबसाइट पर सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध हैं।
विशेषज्ञ की ले सकते हैं मदद
रियल एस्टेट में जमीन या उस परियोजना से जुड़ी हुई कुछ बातों का पड़ताल केवल वेबसाइट से संभव नहीं है। इसके लिए आप किसी स्थानीय वकील की मदद से उस संपत्ति के टाइटल को चेक करें। प्रॉपर्टी के काम से जुड़े कानूनी मामलों को देखने वाले वकील जमीन से जुड़े दस्तावेज की पड़ताल आसानी कर सकते हैं जबकि आपके लिए यह मुश्किल है। इसके अलावा बिल्डर या परियोजना के खिलाफ कोई कानूनी मामला तो नहीं चल रहा है इसकी जांच भी आप जरूर करें। इसकी ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से पड़ताल कर सकते हैं।
बैंक भी करते हैं मदद
आम आदमी के लिए बिना कर्ज लिए मकान खरीदना संभव नहीं है। बैंक कर्ज देने के पहले उस प्रॉपर्टी की पूरी पड़ताल करते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकारी बैंक इसमें मददगार हो सकते हैं। सरकारी बैंक जमीन या बिल्डर के विवादित होने की स्थिति में आसानी से उस परियोजना के लिए कर्ज नहीं देते हैं। इसके अलावा वह उस परियोजना के लिए ग्राहक को भी कर्ज देने से मना कर देते हैं। ऐसे में सरकारी बैंक सही प्रॉपर्टी की पड़ताल में आपकी मदद कर सकते हैं।
इन बातों का रखें ध्यान
बिल्डर ग्राहकों को लुभाने के लिए कई तरह की आकर्षक पेशकश करते हैं। इनमें मकान खरीदने पर पजेशन मिलने तक कर्ज की मासिक किस्त (ईएमआई) का भुगतान करने का वादा या 12 फीसदी तक रिटर्न सहित कई पेशकश शामिल होती है। आपको ध्यान देना चाहिए कि उसमें शर्तें भी जुड़ी होती हैं जिनमें पजेशन या तीन साल जो भी पहले हो तभी तक ईएमआई भुगतान शामिल होता है। बिल्डर यदि ईएमआई भुगतान में देरी या डिफॉल्ट करता है तो आपकी क्रेडिट रेटिंग घटती है जिससे आपको भविष्य में कर्ज मिलने में परेशानी हो सकती है। परियोजनाएं पांच से सात साल की देरी से चल रही हैं।