कोरोना टेस्टिंग में फर्जीवाड़ा करने वाली कंपनी की मास्टरमाइंड दंपत्ति अरेस्ट

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न्यूज जंक्शन 24, देहरादून। हरिद्वार में कुंभ मेले के दौरान कोरोना टेस्टिंग घोटाले (Corona Testing Fraud) के मुख्य आरोपी बताए जा रहे शरद पंत और उनकी पत्नी मल्लिका पंत को एसआईटी ने गिरफ्तार कर लिया है। दोनों को उनके दिल्ली स्थित घर से गिरफ्तार किया गया। दोनों की गिरफ्तारी को लेकर एसआईटी कल रात से ही छापेमारी कर रही थी। दोपहर तक दोनों को गिरफ्तार कर हरिद्वार लाया जाएगा, जिसके बाद वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ योगेंद्र सिंह रावत घोटाले में उनकी भूमिका से पर्दा उठाएंगे।

ये था मामला

हरिद्वार में हुए कुंभ के दौरान कोरोना टेस्टिंग में घोटाला (Corona Testing Fraud) सामने आया था। कोरोना काल में संपन्न हुए बीते कुंभ 2021 में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए कोरोना टेस्ट रिपोर्ट अनिवार्य की गई थी। हरिद्वार की सीमाओं पर और कुंभ क्षेत्र में जगह-जगह कोरोना टेस्टिंग के लिए मेला स्वास्थ्य विभाग की ओर से इंतजाम किए गए थे, मगर फर्जी तरीके से कोविड-19 टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव बनाकर सरकार को चूना लगाया गया था। स्वास्थ्य विभाग से जुड़े सूत्र बताते हैं कि एक ही एंटीजन टेस्ट किट से 700 सैंपल्स की टेस्टिंग की गई थी। इसके साथ ही टेस्टिंग लिस्ट में सैकड़ों व्यक्तियों के नाम पर एक ही फोन नंबर अंकित था। स्वास्थ्य विभाग की जांच में दूसरे लैब का भी यही हाल सामने आता है। जांच के दौरान लैब में लोगों के नाम-पते और मोबाइल नंबर फर्जी पाए गए हैं। इसके बाद यह मामला साफ हो गया कि कुंभ मेले में फर्जी तरीके से कोविड-19 टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव बनाकर आंखों में धूल झोंकने का काम किया गया है। कुंभ में टेस्टिंग का ठेका लेने वाली मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज दिल्ली ने बड़े पैमाने पर फर्जी टेस्ट (Corona Testing Fraud) कर सरकार को करोड़ों रुपए का चूना लगाया। छह महीने पहले इस मामले में हरिद्वार की शहर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया था।

शरद पंत और मल्लिका पंत की थी तलाश

शरद पंत और मल्लिका पंत मैक्स कॉर्पोरेट सर्विसेज में पार्टनर थे। याचिका के जरिए शरद पंत और मलिका पंत ने कोर्ट से कहा था कि वे मैक्स कॉर्पोरेट सर्विसेस में एक सर्विस प्रोवाइडर हैं। परीक्षण और डेटा प्रविष्टि के दौरान मैक्स कॉर्पोरेट का कोई कर्मचारी मौजूद नहीं था। इसके अलावा परीक्षण और डेटा प्रविष्टि का सारा काम स्थानीय स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की प्रत्यक्ष निगरानी में किया गया था। इन अधिकारियों की मौजूदगी में परीक्षण स्टालों ने जो कुछ भी किया था, उसे अपनी मंजूरी दी थी। अगर कोई गलत कार्य हो रहा था तो कुंभ मेले की अवधि के दौरान अधिकारी चुप क्यों रहे? याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा था कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी हरिद्वार ने पुलिस में मुकदमा दर्ज करते हुए आरोप लगाया था कि कुंभ मेले के दौरान अपने को लाभ पहुंचाने के लिए फर्जी तरीके से टेस्ट (Corona Testing Fraud) इत्यादि कराए गए थे।

ऐसे हुआ खुलासा

हरिद्वार कुंभ में हुए टेस्ट के घपले (Corona Testing Fraud) का खुलासा पंजाब के फरीदकोट की एक घटना से हुआ था। यहां रहने वाले एलआईसी एजेंट विपन मित्तल की वजह से कुंभ में कोविड जांच घोटाले की पोल खुल सकी। एलआईसी एजेंट विपन मित्तल को उत्तराखंड की एक लैब से फोन आता है, जिसमें यह कहा जाता है कि ‘आप की रिपोर्ट निगेटिव आई है’, जिसके बाद विपन फोन करने वाले को जवाब देता है कि उसका तो कोई कोरोना टेस्ट हुआ ही नहीं है तो रिपोर्ट भला कैसे निगेटिव आ गई। फोन आने के बाद विपिन ने फौरन स्थानीय अधिकारियों को मामले की जानकारी दी थी। स्थानीय अधिकारियों के ढुलमुल रवैए को देखते हुए पीड़ित शख्स ने तुरंत भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) से शिकायत की। ICMR ने घटना को गंभीरता से लेते हुए उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग से जवाब मांगा था। उत्तराखंड सरकार से होते हुए ये शिकायत स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी के पास पहुंची। जब उन्होंने पूरे मामले की जांच करायी तो बेहद चौंकाने वाले खुलासे हुए। स्वास्थ्य विभाग ने पंजाब फोन करने वाले शख्स से जुड़ी लैब की जांच की तो परत-दर-परत पोल खुलती गई। जांच में एक लाख कोरोना रिपोर्ट फर्जी (Corona Testing Fraud) पाए गए।

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