नई दिल्ली। अब महिलाएं भी राष्ट्रीय रक्षा अकादमी यानी एनडीए के जरिए सेना में स्थायी कमीशन प्राप्त कर सकेंगी। केंद्र सरकार ने बुधवार को इस बाबत सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है। कहा है कि सशस्त्र बलों ने एनडीए में महिलाओं को अपनी उम्मीदवारी पेश करने की अनुमति देने का निर्णय किया है। हालांकि, केंद्र सरकार ने बुनियादी ढांचे में बदलाव करने की आवश्यकता का हवाला देते हुए अदालत से चालू वर्ष के लिए एनडीए में महिलाओं के प्रवेश से छूट देने का अनुरोध भी किया है।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने एनडीए परीक्षा में महिलाओं को भाग लेने की अनुमति देने के मामले में अदालत के समक्ष यह दलील दी। न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने पीठ को बताया कि उच्चतम स्तर के बलों और सरकार में निर्णय लिया गया है कि महिलाओं को राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के माध्यम से स्थायी कमीशन के लिए शामिल किया जाएगा। हालांकि, उन्होंने अदालत से यह भी अनुरोध किया कि वर्तमान शैक्षणिक वर्ष के लिए एनडीए में प्रवेश के संबंध में यथास्थिति बरकरार रखी जाए, क्योंकि इसके लिए प्रक्रिया और बुनियादी ढांचे में बदलाव की आवश्यकता है।
अदालत ने केंद्र को हलफनामे के जरिए घटनाक्रम को रिकॉर्ड में रखने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि सशस्त्र बल इस देश की सम्मानित शक्ति हैं, लेकिन लैंगिक समानता पर उन्हें और अधिक करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने 18 अगस्त को अंतरिम आदेश में महिलाओं को अस्थायी आधार पर एनडीए परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी थी। यह आदेश एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने पारित किया था, जिसमें तर्क दिया गया था कि एनडीए से महिलाओं का बहिष्कार मनमाना, भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक है।
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