= चम्पावत से विधायक होने के बावजूद भी मुख्यमंत्री अपनी कर्मभूमि खटीमा से रखते हैं बेहद लगाव
=प्रदेश का पहला क्रोकोडाइल ईको पार्क स्थापित हुआ है खटीमा में
Newsjunction24.com
Seema saxena (editor)
हल्द्वानी (haldwani ) : खटीमा को देखकर प्रदेश के दूसरे हिस्सों को रश्क हो सकता है कि पिछले कुछ समय में इस गंवई शक्ल के छोटे से कस्बे ने विकास की दौड़ में कितनी तेज रफ्तार पकड़ी है और महज एक दशक में इसका चेहरा-मोहरा कितना कुछ बदल गया है।
अगर आपने 12 साल पहले का खटीमा देखा हो और आज का खटीमा देख रहे हों तो आपको काफी कुछ बदला नजर आएगा।
खटीमा में बदलाव का यह अध्याय सन् 2012 से लिखा जाने लगा। तब पहली बार पुष्कर सिंह धामी इस विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए थे। इलाके को दूरदर्शी सोच का नया युवा विधायक मिला और इसके साथ ही तैयार होने लगा विधानसभा क्षेत्र के विकास का नया रोडमैप।
विकास को आकार लेता देख सकते हैं
इस नए रोडमैप में शहर के विकास के कई बिंदु शामिल किए गए। यह फेहरिस्त काफी लंबी है, लेकिन यहां इनमें से कुछ उन बिंदुओं का जिक्र करना ही काफी होगा, जिन्हें हम आज के दिन खुली आंखों से साकार हुआ देख सकते हैं।
जाम से दिलाई मुक्ति
बात चकरपुर बाईपास से शुरू करते हैं। अगर पहेनिया बैरियर के पास से यह बाईपास न बना होता तो आज शहर में घंटों जाम की मार से कराहता रहता। लेकिन धामी की दूरदृष्टि ने भविष्य की इस मुश्किल को पहचान लिया। बाईपास स्वीकृत हुआ और बनकर तैयार भी हो गया। इससे शहर के यातायात का एक हिस्सा बाईपास पर डायवर्ट हो गया और शहर को जाम की रेल-पेल से मुक्ति मिल गई। इसके साथ ही शहर का अपना रोडवेज बस अड्डा हो, यह धामी का ही विजन था। बस अड्डा स्वीकृत हुआ और आज विशाल परिसर में बनकर तैयार है। कुछ महीनों में इसका संचालन भी शुरू हो जाएगा।
हर युवा को आत्मनिर्भर शिक्षा से जोड़ा
शहर और इलाके के युवाओं को अच्छी तकनीकी शिक्षा घर पर ही उपलब्ध हो यह भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का ही सपना था। प्रयास किए गए और शहर के लिए पॉलीटेक्नीक व आईटीआई मंजूर हुए। वरना यहां के युवाओं को इन कोर्सेज को करने के लिए बाहर जाना पड़ता और अभिभावकों की जेब पर भारी बोझ पड़ता।
लोगों की सेहत का भी रखा ख्याल
गरीब मरीज इलाज के लिए मोहताज न हो या फिर उसे दूसरे शहरों की दौड़ न लगानी पड़े, यह भी धामी के मन की पीड़ा रही। लिहाजा उनकी कोशिशों से शहर के लिए सौ बेड का अस्पताल स्वीकृत हुआ। अब मरीजों को विशेषज्ञ चिकित्सा न सही, सामान्य चिकित्सा खटीमा में ही मिल पा रही है और उनहें इधर-उधर नहीं भटकना पड़ रहा है।
सैनिक विश्राम गृह से लेकर शदीद स्मारक तक विकास की नींव
पिछले बारह वर्षों में खटीमा में करवाए गए इन विकास कार्यों की फेहरिस्त काफी लंबी है। उक्त विकास कार्यों के अलावा छुट्टी से घर आने वाले या डयूटी पर लौटने वाले सैनिकों के रुकने के लिए सैनिक विश्राम गृह की स्थापना, लावारिस पशुओं को आश्रय देने के लिए गौशाला निर्माण, पुरानी तहसील में शहीद स्मारक का निर्माण, तहसील में वकीलों के चैंबर का निर्माण, चकरपुर में खेल मैदान और लोहिया हेड में मिनी स्टेडियम का निर्माण कराया।
इस तरह बदली खटीमा की सूरत और सीरत
उत्तराखंड का पहला क्रोकोडाइल पार्क की स्थापना व जंगल सफारी की स्थापना हुई। जो पर्यटकों और वन्यजीव प्रेमियों के लिए शानदार जगह है। सुरई जंगल की खास बात यह है कि यह जंगल कम क्षेत्रफल में जरुर हैं लेकिन इस जंगल में टायगरों की संख्या क्षेत्रफल के हिसाब से कहीं ज्यादा है। यही नहीं छठ घाटों का निर्माण, नौसर में परवीन नदी पर पुल का निर्माण, शहर में जगह-जगह यात्री शेड़ों का निर्माण जैसे दर्जनों विकास कार्य हैं, जिन्होंने खटीमा की सूरत और सीरत काफी कुछ बदल दी है।
पहले खटीमा के विधायक के रूप में और अब चम्पावत से विधायक होने के बावजूद एक मुख्यमंत्री के रूप में अपनी कर्मभूमि खटीमा के प्रति धामी के इस लगाव ने खटीमा के विकास के कारवां को जबर्दस्त गति दी है। सही कहें तो पिछले एक दशक से खटीमा के विकास का रथ सरपट दौड़ रहा है।







