न्यूज जंक्शन 24, नई दिल्ली। त्रिपुरा को राज्य बने 50 साल पूरे हो गए हैं। इस मौके पर एक किताब सामने आई है, जिसमें दावा किया गया है कि भारत के इस राज्य को पाकिस्तान में मिलाने के लिए मुस्लिम लीग ने बड़ी साजिश रची थी, जिसके कारण राज्य 75 साल पहले लगभग पाकिस्तान के हाथ में चला ही गया था, मगर त्रिपुरा की महारानी की हिम्मत और सरदार पटेल की सक्रियता के कारण इसे बचा लिया गया।
इस किताब के लेखक पन्ना लाल रॉय (Panna Lal Roy) हैं। वह एक इतिहासकार भी हैं। उन्होंने अपनी किताब ‘रजवाड़े त्रिपुरा का भारतीय संघ में विलय’ में लिखा है, “मुस्लिम लीग के समर्थन से महल में तख्तापलट का प्रयास हुआ था और भारतीय संघ में विलय के त्रिपुरा के महाराज का अंतिम निर्णय पलटने के कगार पर पहुंच चुका था। लेकिन उस समय के कुछ निष्ठावान मंत्रियों (दरबारियों) और महारानी के समय से उठाए गए कदमों और उस दौर के नेताओं की चेतावनी से ऐसा संभव नहीं हो पाया।
रॉय (Panna Lal Roy) के मुताबिक, ‘‘महाराजा बीर बिक्रम ने 28 अप्रैल, 1947 को घोषणा की थी कि त्रिपुरा भारतीय संघ का हिस्सा होगा और उसी दिन उन्होंने अपने इस फैसले के बारे में संविधान सभा के सचिव को टेलीग्राम भेजा था।’’ उन्होंने बताया , ‘‘दुर्भाग्य से महाराजा का 17 मई, 1947 को निधन हो गया। उनके निधन के बाद उच्च पदस्थ अधिकारियों ने मुस्लिम लीग के साथ मिलकर पाकिस्तान में राज्य के विलय की साजिश रच डाली।’’
रॉय (Panna Lal Roy) ने कहा कि बीर बिक्रम किशोर के निधन के बाद कुछ मंत्रियों और दिवंगत राजा के एक सौतेले भाई ने राजपरिवार के एक सदस्य को सिंहासन पर बिठाने की कोशिश की। इसके लिए उन्होंने पाकिस्तान के साथ राज्य के विलय का नया समझौता करने का फैसला किया और त्रिपुरा के मुस्लिम लीग समर्थक संगठन ‘अंजुमन इस्लामिया’ के साथ सुनियोजित साजिश रच डाली।
राॅय (Panna Lal Roy) ने अपनी किताब में बताया है कि 11 जून, 1947 को आखिरी शासक के निधन के 25 दिनों बाद अधिसूचना जारी की गई थी, जिसमें कहा गया- ‘‘यह अधिसूचित किया जाता है कि त्रिपुरा प्रांत के शासक दिवंगत कर्नल महामहिम महाराजा माणिक्य सर बीर बिक्रम किशेार देब बर्मन बहादुर ने वर्तमान संविधान सभा से जुडने का फैसला करते हुए 28 अप्रैल, 1947 को त्रिपुरा सरकार के मंत्री जीएस गुहा को उक्त संविधान सभा में त्रिपुरा का प्रतिनिधि नामित किया है।’’
इसके बाद बंगाल प्रदेश कांग्रेस समिति के तत्कालीन अध्यक्ष सुरेंद्र मोहन घोष ने 29 अक्टूबर को गृहमंत्री सरदार पटेल को पत्र लिखकर (मुस्लिम लीग की) साजिश की सूचना दी। उसके बाद हिंदू महासभा के नेता श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने पटेल को त्रिपुरा की स्थिति पर पत्र लिखा। इन सभी चेतावनी के बाद पटेल ने 31 दिसंबर, 1947 को असम के राज्यपाल को चिट्ठी लिखी और फिर संघ सरकार ने वायुसेना को त्रिपुरा भेजा।
वहीं, इस मुद्दे को लेकर असम के तत्कलीन राज्यपाल के सलाहकार नारी रूस्तम ने भी‘इनचैंटेड फ्रंटियर’ पुस्तक में लिखा है, ‘त्रिपुरा में पाकिस्तान समर्थक तत्वों के सक्रिय रहने के सबूत हैं.. लेकिन हम पूरी तरह चौकस हैं और समस्या खड़ी करने वालों पर हमने तत्काल प्रहार किया।’ रॉय ने कहा कि महारानी ने कई मंत्रियों को इस्तीफा देने के लिए कहा और एक को राज्य में प्रवेश करने से रोक दिया गया। उन्होंने कहा कि महारानी के नए दीवान एबी चटर्जी ने ऐसे मुश्किल दौर में मदद की।
ऐसे ही लेटेस्ट व रोचक खबरें तुरंत अपने फोन पर पाने के लिए हमसे जुड़ें
हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
हमारे यूट्यब चैनल से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
हमारे टेलीग्राम ग्रुप से जुड़ने के लिए क्लिक करें।
हमारे फेसबुक ग्रुप से जुड़ने के लिए क्लिक करें।