नई दिल्ली। कोरोना महामारी पर काबू पाने के लिए वैक्सीन को ही एक मात्र जरिया बताया जा रहा है। मगर देश में अब इसे लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। भारत बायोटेक कंपनी की कोरोना वैक्सीन कोवाक्सिन को बनाने में गाय के बछड़े के सीरम का इस्तेमाल किए जाने के मुद्दे पर बहस छिड़ गई है। हालांकि भारत बायोटेक ने अपनी सफाई में कहा है कि सेल्स विकसित करने में गाय के बछड़े के सीरम का इस्तेमाल किया गया था, लेकिन कोवाक्सिन वैक्सीन के फाइनल फॉर्मूले में इसका इस्तेमाल नहीं किया गया। कंपनी का कहना है कि कोवाक्सिन में किसी तरह की अशुद्धि नहीं हैं।
दरअसल, कांग्रेस के नेशनल काेऑर्डिनेटर गौरव पांधी ने बुधवार को कोवाक्सिन में गाय के बछड़े के सीरम का इस्तेमाल किए जाने का दावा किया था। पांधी ने एक आरटीआई के जवाब में मिले दस्तावेज को साझा किया था। इस दस्तावेज में बताया गया था कि कोवाक्सिन बनाने में गाय के उस बछड़े के सीरम का इस्तेमाल किया जाता है, जिसकी उम्र 20 दिन से भी कम होती है। उन्होंने दावा किया कि यह जवाब विकास पाटनी नाम के व्यक्ति की आरटीआई पर केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने दिया है। इसके बाद विपक्ष ने मोदी सरकार पर हमला बोल दिया।
सरकार का जवाब
इस विवाद के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि सोशल मीडिया पर स्वदेश निर्मित कोवाक्सिन में नवजात बछड़े का सीरम होने का तथ्य तोड़-मरोड़ कर एवं अनुचित ढंग से पेश किया गया। मंत्रालय ने कहा कि नवजात बछड़े के सीरम का इस्तेमाल केवल वेरो कोशिकाएं तैयार करने और उनके विकास के लिए ही किया जाता है। गोवंश तथा अन्य पशुओं से मिलने वाला सीरम एक मानक संवर्धन संघटक है, जिसका इस्तेमाल पूरी दुनिया में वेरो कोशिकाओं के विकास के लिए किया जाता है। वेरो कोशिकाओं का उपयोग ऐसी कोशिकाएं बनाने में किया जाता है, जो टीका उत्पादन में मददगार होती हैं। पोलियो, रैबीज और इन्फ्लुएंजा के टीके बनाने के लिए इस तकनीक का दशकों से इस्तेमाल होता आ रहा है।