न्यूज जंक्शन 24, नई दिल्ली। कल यानी मंगलवार 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आम बजट पेश करेंगी। इससे पहले आज सोमवार को उन्होंने आर्थिक सर्वेक्षण (economic survey 2022) पेश किया। इस सर्वेक्षण (economic survey 2022) में बताया गया है कि फाइनेंशियल ईयर 2022-23 के लिए देश की अर्थव्यवस्था में जीडीपी बढ़ोतरी का दर 8-8.5 फीसदी रह सकता है।
हालांकि यह चालू वित्त वर्ष के 9.2 फीसदी के ग्रोथ अनुमान से कम है। फाइनेंशियल ईयर 2021-22 में देश की रियल जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 9.2 फीसदी है। इसी अवधि में कृषि सेक्टर में 3.9 फीसदी ग्रोथ का अनुमान लगाया गया है। इंडस्ट्रियल सेक्टर में 11.8 फीसदी की बढ़ोतरी की उम्मीद है। सर्विस सेक्टर की ग्रोथ का अनुमान 8.2 फीसदी है।
एनएसओ ने जताया था 9.2 फीसदी का अनुमान
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने पूर्व में 9.2 प्रतिशत जीडीपी विस्तार का अनुमान जताया था। यानी आज पेश किया गया आर्थिक सर्वेक्षण (economic survey 2022) एनएसओ के पूर्व अनुमान से कम है। आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22, अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों की स्थिति के साथ-साथ विकास में तेजी लाने के लिए किए जाने वाले सुधारों का विवरण देता है। 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 7.3 प्रतिशत की गिरावट आई थी। सर्वेक्षण भारतीय अर्थव्यवस्था के लचीलेपन में सुधार के लिए आपूर्ति-पक्ष के मुद्दों पर केंद्रित है।
वास्तविक GDP ग्रोथ 9.2 प्रतिशत होने की उम्मीद
- आर्थिक सर्वेक्षण (economic survey 2022) में अलग-अलग सेक्टर ने बीते साल कैसा प्रदर्शन किया, इस बारे में भी विस्तार से बताया गया है।
- अग्रिम अनुमान बताते हैं कि 2021-22 में भारतीय अर्थव्यवस्था का वास्तविक जीडीपी विस्तार 9.2 प्रतिशत होने की उम्मीद है. कुल मिलाकर आर्थिक गतिविधियां कोविड महामारी के पूर्व और बाद के स्तर से आगे निकल गई हैं।
- महामारी से कृषि और संबद्ध क्षेत्र सबसे कम प्रभावित हुए हैं और पिछले वर्ष में 3.6 प्रतिशत की वृद्धि के बाद इस क्षेत्र के 2021-22 में 3.9 प्रतिशत से बढ़ने की उम्मीद है।
- समीक्षा 2021-22 में अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों की स्थिति के साथ ही वृद्धि में तेजी लाने के लिए किए जाने वाले सुधारों का ब्योरा दिया गया है। वित्त वर्ष 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 7.3 प्रतिशत की गिरावट आई थी. आर्थिक समीक्षा भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति को मजबूत बनाने के लिए आपूर्ति-पक्ष के मुद्दों पर केंद्रित है।
- किसानों को चावल और गेहूं की खेती करने की बजाय दलहन और तिलहन की खेती करने के लिए प्रोत्साहित करने से यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि देश दलहन और तिलहन में आत्मनिर्भर है और आयात निर्भरता को कम करने में भी ये सहायक है। दलहन की खेती के साथ ही सरकार चावल और गेहूं के वास्तविक बफर स्टॉक को बनाए रखने में सक्षम होगी। सरकार ने क्षेत्र विस्तार, HYVs के माध्यम से उत्पादकता, MSP समर्थन और खरीद के माध्यम से दलहन और तिलहन के उत्पादन को बढ़ाने को प्राथमिकता दे रही है।
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