देहरादून। राजधानी देहरादून के आदर्श नगर में गर्भवती सौतेली बहन, उसकी 5 साल की बच्ची और माता-पिता सहित पांच लोगों को बेरहमी से मौत के घाट उतारने वाले हरमीत सिंह को देहरादून एडीजे कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। साथ ही एक लाख का जुर्माना भी लगाया है। सोमवार को अपर जिला जज पंचम आशुतोष मिश्रा की अदालत ने हरमीत सिंह को दोषी करार दिया था।
23 अक्टूबर 2014 को दीपावली की रात देहरादून के आदर्श नगर स्थित आवास में हरमीत सिंह ने कारोबारी पिता जय सिंह, माता कुलवंत कौर, सौतेली गर्भवती बहन हरजीत कौर उर्फ हनी और अपनी 5 साल की भांजी सुखमणि की चाकू से गोदकर निर्मम हत्या कर दी थी। यह हत्या प्रॉपर्टी विवाद को लेकर गई थी। इस वारदात में भांजा कंवलजीत चाकू से घायल होने के बावजूद बेड के नीचे छिप जाने से बच गया था। घटना के समय आरोपी की सौतेली बहन हरजीत सिंह उर्फ हनी के पेट में पल रहे 8 महीने के गर्भ की भी हत्या की गई थी।
पुलिस ने जांच पड़ताल के बाद करीब तीन महीने बाद हरजीत के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी। कुछ समय बाद मुकदमे का ट्रायल सेशन कोर्ट में शुरू हुआ।
हालांकि, सजा से बचने के लिए हरमीत सिंह ने कोर्ट में खुद को दिमागी रूप से बीमार बताया था लेकिन डॉक्टरी जांच में उसका ये दावा झूठा साबित हुआ। ये भी कोर्ट को बताया गया कि हरमीत का किसी मनोचिकित्सक से इलाज नहीं हुआ है। मुकदमे में कुल 21 गवाह पेश हुए थे। इन्हीं के आधार पर हरमीत सिंह को आईपीसी की धारा 302 (हत्या), धारा 307 (हत्या का प्रयास) और 316 (गर्भस्थ शिशु की हत्या करना) में दोषी ठहराया गया।
अभियोजन कोर्ट में इस बात को साबित करने में सफल रहा कि हरमीत ने इस जघन्य हत्याकांड को प्रॉपर्टी के लिए अंजाम दिया । इससे पहले मामले में आज सुबह 11 बजे से 12 बजे तक सजा के लिए दोनों ही पक्षों के अधिवक्ताओं द्वारा कोर्ट में अंतिम पैरवी की गई। जिरह पूरी होने के बाद दोपहर बाद हत्याकांड में फांसी की सजा का एलान किया गया। पीड़ित पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता ब्रह्मदत्त झा द्वारा इसे ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ मानते हुए कोर्ट से फांसी की ही मांग की थी।
परिवार के 5 लोगों की निर्मम हत्या मामले में फांसी की सजा की मांग करते हुए बहस के दौरान सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता ब्रह्मदत्त झा ने कोर्ट को इस बात से अवगत कराया कि इसी निर्मम हत्याकांड की तर्ज पर बिहार और पंजाब में भी प्रॉपर्टी विवाद के चलते निहत्थे असहाय परिवार के 5 लोगों को परिवार के बेटे द्वारा ही मौत के घाट उतारा गया था। दोनों ही केस में निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक आरोपी को दोषी करार कर फांसी की सजा दी गई थी।
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