देहरादून। उत्तराखंड में सियासी घटनाक्रम तेजी से ऊपर-नीचे हो रहा है। तीन दिनों तक चली चिंतन बैठक के बाद बुधवार को मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को अचानक दिल्ली तलब किया गया था, जिसके बाद प्रदेश में सीएम के चेहरे को एक बार फिर बदलने की खबरें आने लगी। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हाे सकी। इस बीच सीएम के लिए प्रदेश में उपचुनाव को लेकर भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। राज्य में उपचुनाव को लेकर खड़े हो रहे सवालों को लेकर अब पूर्व चुनाव आयुक्त वीएस संपत ने स्थिति साफ की है। उन्होंने कहा प्रदेश में सीएम के उपचुनाव में किसी तरह की कोई अड़चन नहीं है।
मीडिया रिपोट्र्स में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त वीएस संपत ने कहा है कि कोई भी व्यक्ति जिसने चुनाव नहीं लड़ा है और जिसे मुख्यमंत्री बनाया गया है, उसे 6 महीने के भीतर चुनाव लड़ना जरूरी है। उन्होंने कहा कि इससे संबंधित लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम में ये जरूर कहा गया है कि अगर चुनावी कार्यकाल खत्म होने के लिए एक साल से कम का समय बचा है तो उपचुनाव की जरूरत नहीं है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि ऐसे मामलों में उपचुनाव नहीं कराए जाएंगे।
पूर्व सीईसी कहते हैं कि ऐसे मामलों में संविधान को सबसे ऊपर रखा जाता है। उसमें साफ कहा गया है कि किसी भी बाहरी व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाए जाने की सूरत में 6 महीने के भीतर चुनाव कराए जाने जरूरी हैं। इस मामले में भी अगर चुनाव आयोग चाहे कि उपचुनाव हो, तो नियम उपचुनाव नहीं कराने के लिए बाध्य नहीं करते।
लगाई जा रही थीं ये अटकलें
राज्य में 2017 में चुनी गई मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल मार्च 2022 में खत्म हो रहा है। ऐसे में चुनाव के लिए एक साल से भी कम समय बचा है, ऐसे में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 151-A के मुताबिक, यहां उपचुनाव नहीं कराए जा सकते। इस कारण राज्य में एक बार फिर सीएम बदलने की अटकलें लगनी लगी हैं।
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