बरेली। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड ने सबका विश्वास-विरासत विवाद समाधान योजना लांच की है। इस योजना के जरिए केंद्रीय उत्पाद शुल्क एवं सेवा कर के पुराने विवादों का निस्तारण किया जाएगा। व्यापारी 31 दिसंबर तक इस योजना का लाभ लेकर ब्याज, पेनाल्टी और जुर्माने की पूर्ण माफी सहित 40 से 70 फीसदी तक की छूट का जबर्दस्त लाभ उठा सकते हैं।
केंद्रीय उत्पाद कर से जुड़े मामलों में अभी तक 100 फीसदी पेनाल्टी और 18 फीसदी के हिसाब से ब्याज देय होता था। इस कारण अगर किसी कारोबारी के ऊपर 50 लाख रुपये की देयता होती है तो उसे केस बिगड़ने के बाद दो गुने से भी ज्यादा रुपये जमा करने होते थे। अधिकांश मामले में पैसा जमा ही नहीं होता था। ऐसे कारोबारी विभाग से छुपे-छुपे घूमते हैं। अब सरकार ने एक अनोखी योजना शुरू की है। इसका लाभ 31 दिसंबर तक उठाया जा सकता है। इसके लिए फार्म www.cbic-gst.in पर उपलब्ध हैं। फार्म भरने से लेकर भुगतान करने तक की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन ही होगी। किसी भी तरह की परेशानी होने पर कारोबारी विभाग में जाकर भी संपर्क कर सकता है।
इन को मिलेगा योजना का लाभ
केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर के उपायुक्त मनोज प्रभाकर ने बताया कि यह एक ऐतिहासिक योजना है। 30 जून 2019 की स्थिति के अनुसार लंबित कारण बताओ नोटिस या किसी कारण बताओ नोटिस के जवाब में की गई लंबित अपील से जुड़े मामले में इसका लाभ उठाया जा सकता है। कारोबारी अपनी अपील को वापस लेकर भी योजना का लाभ उठा सकते हैं। बकाया राशि व कोई जांच अथवा लेखा परीक्षा जिसमें राशि 30 जून 2019 या इससे पहले निर्धारित हो चुकी है जैसे मामले भी इसके तहत आएंगे।
योजना के यह हैं लाभ
-ब्याज, पेनाल्टी और जुर्माने की पूर्ण माफी
-केस से मुक्ति
-अधिनिर्णयन अथवा अपील के लंबित मामले में शुल्क की मांग 50 लाख या इससे कम होने पर 70 फीसदी की छूट।
-50 लाख रुपये से अधिक के मामले में 50 फीसदी की छूट।
-जांच और लेखा परीक्षा के अधीन मामलों में यदि शुल्क का निर्धारण 30 जून 2019 या इससे पहले हो चुका है तो इसी तरह से छूट मिलेगी।
-बकाया राशि के मामले में पुष्ट शुल्क राशि यदि 50 लाख या इससे कम है तो 60 फीसदी राशि की छूट दी जाएगी। अन्य मामलों में यह छूट 40 फीसदी होगी।
-स्वैच्छिक प्रकटन के मामलों में घोषणाकर्ताओं को घोषित किए गए शुल्क की पूरी राशि का भुगतान करना होगा।
यह भी हैं विशेषताएं
-भुगतान किए जा चुके शुल्क के समायोजन की सुविधा।
-निपटान के लिए बकाया का भुगतान केवल इलेक्ट्रानिक रूप से किया जाएगा। इसका लाभ बाद में इन्पुट टैक्स क्रेडिट के रूप में नहीं लिया जा सकेगा।
-प्रश्नगत कार्यवाही का पूर्ण और अंतिम निपटान। हालांकि देयता के स्वैच्छिक प्रकटन के मामले में एक वर्ष की अवधि के भीतर गलत घोषणा के मामले की दोबारा से जांच किए जाने का प्रावधान है।
-अंतिम निर्णय की सूचना आवेदन के 60 दिनों के भीतर दी जाएगी।
-किसी असहमति की स्थिति में व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर दिए बिना कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया जाएगा।
योजना के अंतर्गत नहीं आने वाले मामले
उपायुक्त मनोज प्रभाकर ने बताया कि केंद्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम 1944 की चौथी अनुसूची में उल्लिखित उत्पात शुल्क योग्य माल से संबंधित मामले इसके तहत नहीं आएंगे। वे मामले जिनमें करदाता दोषी सिद्ध हो चुके हैं अथवा दोषपूर्ण रिफंड और निपटान आयोग के समक्ष लंबित मामले भी इसके तहत नहीं आएंगे।