हल्द्वानी। पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत अपने बयान को लेकर फिर चर्चा में हैं। इस बार उनके बयान पर विवाद बढ़ा तो हरदा ने अपने बयान के लिए माफी भी मांगी है। रावत ने मंगलवार को पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिद्धू और उनके चार सलाहकारों के लिए पंज प्यारे शब्द का इस्तेमाल किया था, जिसके बाद विवाद और तेज हो गया था। विपक्षी दलों ने रावत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था।
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व प्रधान मनजिंदर सिंह सिरसा ने हरीश रावत द्वारा नवजोत सिंह सिद्धू और उनके चार सलाहकारों को ‘पंज प्यारे’ कहने पर इस बात की कड़ी निंदा की थी। उन्हाेंने कहा था कि पंजाब सरकार काे कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत के खिलाफ केस दायर करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह सिखों का अपमान है। गुरु गोविंद सिंह जी द्वारा शुरू की गई इस प्रथा का हरीश रावत ने अपमान किया है क्योंकि इस तरह से किसी सामान्य व्यक्ति या इंसान को इन धार्मिक शब्दों से नहीं नवाजा जाना चाहिए। वहीं, शिरोमणि अकाली दल के दलजीत सिंह चीमा ने भी रावत की कथित ‘पंज प्यारे’ टिप्पणी पर आपत्ति जताई थी और उनसे माफी की मांग की थी।
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इसके बाद विवादों में घिरे हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर माफी मांगी है। हरीश रावत ने लिखा है कि कभी आप आदर व्यक्त करते हुए, कुछ ऐसे शब्दों का उपयोग कर देते हैं जो आपत्तिजनक होते हैं। मुझसे भी कल अपने माननीय अध्यक्ष व चार कार्यकारी अध्यक्षों के लिए पंज प्यारे शब्द का उपयोग करने की गलती हुई है। मैं देश के इतिहास का विद्यार्थी हूं और पंज प्यारों के अग्रणी स्थान की किसी और से तुलना नहीं की जा सकती है। मुझसे ये गलती हुई है, मैं लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए क्षमा प्रार्थी हूं। मैं प्रायश्चित स्वरूप अपने राज्य के किसी गुरुद्वारे में कुछ देर झाड़ू लगाकर सफाई करूंगा। मैं सिख धर्म और उसकी महान परंपराओं के प्रति हमेशा समर्पित भाव और आदर भाव रखता रहा हूं।
हरीश रावत ने लिखा, मैंने चंपावत जिले में स्थित श्री रीठा साहब के मीठे-रीठे, देश के राष्ट्रपति से लेकर, न जाने कितने लोगों को प्रसाद स्वरूप पहुंचाने का काम किया है। जब मुख्यमंत्री बना तो श्री नानकमत्ता साहब और रीठा साहब, जहां दोनों स्थानों पर श्री गुरु नानक देव जी पधारे थे, सड़क से जोड़ने का काम किया। हिमालयी सुनामी के दौर में हेमकुंड साहिब यात्रा सुचारू रूप से चल सके, वहां मेरे कार्यकाल में हुए काम को आज भी देखा जा सकता है। समय कुछ और मिल गया होता तो घंगरिया से हेमकुंड साहब के मार्ग तक रोपवे का निर्माण भी प्रारंभ कर दिया होता। मैं पुनः आदर सूचक शब्द समझकर उपयोग किए गए अपने शब्द के लिए मैं सबसे क्षमा चाहता हूं।
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