उत्तराखंड पंचायत चुनाव पर स्थगन के आसार, हाईकोर्ट ने मांगी रिपोर्ट

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उत्तराखंड में पंचायत चुनाव को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। राज्य के 12 जिलों में मॉनसून सीजन के दौरान हो रहे पंचायत चुनाव अगस्त के बाद कराने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका की मंगलवार को उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई। कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस विभाग को बुधवार को विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी।

सुनवाई के दौरान पुलिस महानिदेशक और सचिव पंचायतीराज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में उपस्थित हुए। उन्होंने बताया कि कांवड़ मेला और पंचायत चुनाव दोनों की व्यवस्थाएं सुचारू रूप से संचालित हो रही हैं। कांवड़ मेले के लिए प्रदेश की 30 प्रतिशत पुलिस फोर्स तैनात की गई है, जबकि चारधाम यात्रा के लिए 10 प्रतिशत और चुनाव सुरक्षा हेतु अतिरिक्त 10 प्रतिशत फोर्स रिजर्व रखी गई है। किसी अप्रिय घटना से निपटने के लिए भी पुलिस ने पर्याप्त फोर्स रिजर्व रखा है।

चुनाव आयोग ने कोर्ट को सूचित किया कि चुनाव आयोजन में कोई बाधा नहीं आ रही है। कांवड़ मेले में हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से आए कांवड़िए शामिल हैं, जिनका पहला जत्था चुनाव की पहली तारीख से पहले लौट जाएगा। सचिव पंचायतीराज ने बताया कि कांवड़ प्रभावित जिलों में चुनाव दूसरे चरण में कराए जाएंगे।

डीजीपी ने कोर्ट को अवगत कराया कि कुछ कांवड़ियों के खिलाफ, जिन्होंने दुकानदारों और महिलाओं के साथ अभद्रता की तथा तेज आवाज़ में डीजे चलाया, मुकदमा दर्ज किया गया है। कोर्ट ने इस रिपोर्ट को 16 जुलाई को प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।

यह जनहित याचिका देहरादून निवासी डॉक्टर बैजनाथ द्वारा दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि कांवड़ यात्रा, चारधाम यात्रा एवं बारिश के कारण प्रशासन, पुलिस और एसडीआरएफ की टीमें आपदा राहत कार्यों में व्यस्त हैं, इसलिए पंचायत चुनाव कराना सुरक्षित नहीं होगा। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि पंचायत चुनाव अगस्त के बाद आयोजित किए जाएं। कोर्ट ने स्थिति का सटीक आकलन करने के लिए संबंधित अधिकारियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश होने का निर्देश दिया था।