चारधाम यात्रा में घोड़े-खच्चरों की मौत पर हाई काेर्ट सख्त, सरकार से मांगा जवाब, साथ में दिया ये निर्देश

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न्यूज जंक्शन 24, नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने केदारनाथ यात्रा के दौरान हो रही घोड़े खच्चरों की मौत के मामले में दायर जनहित याचिका पर आज सुनवाई की। मामले को सुनने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने चारों धामों के जिलाधिकारियों, पशुपालन विभाग सहित राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 2 सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है। साथ ही कोर्ट ने यात्रा को सुरक्षित तरीके से चलाने के लिए एक कमेटी का गठन करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई के लिए कोर्ट ने 22 जून की तिथि नियत की है।

पशु प्रेमी गौरी मौलखी ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि उत्तराखंड के तीर्थ स्थलों में 20,000 से ज्यादा घोड़े खच्चरों को यात्रियों का सामान ढोने और यात्रा के लिए प्रयोग किया जा रहा हैद्व जिसमें से अधिकतर घोड़े खच्चर बीमार हैं। इन घोड़े खच्चरों में आवश्यकता से अधिक बोझ लादा जा रहा है। यात्रा मार्ग पर इन घोड़े खच्चरों की जांच के लिए न ही पशु चिकित्सक हैं और ना ही चारे, पानी व छप्पर की कोई उचित व्यवस्था है।

यात्रा मार्ग पर आवश्यकता से अधिक श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। इससे धक्का-मुक्की हो रही है। जहां-तहां यात्रा मार्ग पर जानवरों की लीद से यात्रियों और घोड़े के फिसलने से कई मौत हो चुकी हैं। याचिकाकर्ता यह भी कहना है कि यात्रा मार्ग पर जिन घोड़े खच्चरों की मौत हो रही उन्हें नदियों में फेंका जा रहा है, जिससे नदी का जल दूषित हो रहा है और बीमारियां फैल सकती हैं।

पीपल फॉर एनिमल्स की सदस्य गौरी मौलेखी का कहना है कि सरकार जानवरों को लेकर झूठ बोल रही है, जबकि हकीकत भयानक है। मौलेखी ने कहा कि केदारनाथ में रोज सैकड़ों की तादाद में घोड़े खच्चर मर रहे हैं और हैरानी की बात यह है कि इन मौतों को रोकने के लिए सरकार की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं की गई है। बिना रजिस्ट्रेशन के हजारों घोड़े दौड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारी टीम ने जो मौके का मुआयना किया तो पाया कि जगह-जगह पर कदम-कदम पर घोड़े खच्चर के शव पड़े हुए हैं, जिनमें कीड़े पड़े हुए हैं। इसके अलावा तमाम मरे हुए जानवरों को नदियों में फेंका जा रहा है।

मौलेखी ने कहा है कि सरकार ये सुनिचित करे कि धामों में जानवरों के साथ ऐसा सुलूक ना हो। उन्होंने कहा कि जो जानवर यात्रियों को ले जा रहे हैं, उनकी भी हालत ठीक नहीं है। उनकी पीठ पर चोट के गहरे निशान हैं और सैकड़ों की तादाद में ऐसे जानवर से काम लिया जा रहा है, जो किसी भी समय दम तोड़ सकते हैं।