न्यूज जंक्शन 24, बरेली। पार्किन्संस एक मस्तिष्क रोग है। यह धीमे-धीमे बढ़ने वाला रोग है। प्रारम्भ में यह शरीर की गति पर असर डालता है। धीमे-धीमे यह शरीर की लगभग हर कार्य करने वाले तन्त्र को मुश्किल में डाल देता है। देश में लगभग 10 लाख लोग हर साल इस मर्ज का शिकार बनते हैं। रामपुर गार्डन स्थित शतायु न्यूूूरो सेंटर के संचालक व न्यूरोलॉजिस्ट डा.मुकेश दुबे ने बताया कि यह एक न्यूरॉडि़जनरेटिव डिसऑर्डर है जो मनुष्य के दिमाग के उस हिस्से को अपना निशाना बनाता है जो शरीर को यह बताता है कि काम कैसे करना है। बढ़ती उम्र के साथ इस बीमारी का खतरा भी बढ़ जाता है।
बीमारी के कारण
दिमाग के अन्दर वेसल गेंग्लिया नामक हिस्से में ‘डोपामीन’ एवं ‘एसीटाइल कोलीन’ नामक रसायन सामंजस्य बनाकर शरीर की गति को नियन्त्रित करते हैं। डोपामीन रसायन की कमी एवं इसको बनाने वाली कोशिकाओं के नष्ट होने से शरीर में कम्पन एवं धीमापन आने लगता है और यही पार्किन्संस डिजिज के होने का प्रमुख कारण है।
ये हैं बीमारी के लक्षण
कम्पन : यह अक्सर हाथ या अंगुलियों से शुरू होता है। शुरुआत में कम्पन आराम की अवस्था में होता है।
धीमापन : जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, मनुष्य के काम करने की गति धीमी होने लगती है। इससे सरल कार्य भी मुश्किल हो जाते हैं।
सन्तुलन में परेशानी : बीमारी के कारण व्यक्ति के शरीर का सन्तुलन भी बिगड़ जाता है।
बोली एवं लिखावट में बदलाव : व्यक्ति को बोलने में हिचकिचाहट आने लगती है। लिखने में काफी कठिनाई होती है।
उपचार : इसके लक्षण को नियन्त्रित करने के लिए कई दवाएं इस्तेमाल होती हैं, जो दिमाग के अन्दर डोपामीन नामक रसायन का स्तर बनाकर रखती हैं। इससे शरीर की गति नियन्त्रित रहती है। जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, दवाएं काम करना कम कर देती हैं। ऐसी अवस्था में दिमाग की सर्जरी या डीप ब्रेन स्टीमुलेशन द्वारा शरीर की गति को नियन्त्रित किया जा सकता है। स्टेम सेल थैरेपी एवं एमआरआइ, पीईटी स्कैन, सीटी स्कैन जैसी अन्य कई आधुनिक विधियां भी इस बीमारी के निदान में सहायक हैं।