न्यूज जंक्शन 24, नई दिल्ली। आने वाले समय में महंगाई का एक जोरदार झटका लगने वाला है। ये झटका पेट्रोलियम कंपनियां देने वाली हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इसके बावजूद भारतीय बाजार में चार महीनों से पेट्रोल और डीजल के दाम नहीं बढ़े हैं। इसका कारण पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों को माना जा रहा है। मगर अब यह चुनाव खत्म होने वाला है। ऐसे में पेट्रोल और डीजल के दाम (Inflation due to petrol-diesel) में बढ़ने के पूरे आसार हैं।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने एक रिपोर्ट में कहा कि पिछले दो महीनों में वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के दाम बढ़ने के कारण सरकार के स्वामित्व वाले खुदरा तेल विक्रेताओं को भारी नुकसान उठाना पड़ा रहा है। घरेलू तेल कंपनियों को सिर्फ लागत की भरपाई के लिए 16 मार्च, 2022 या उससे पहले पेट्रोल-डीजल (Inflation due to petrol-diesel) की कीमतें 12.1 रुपये प्रति लीटर बढ़ानी होंगी। मार्जिन (लाभ) को भी जोड़ लें तो उन्हें 15.1 रुपये प्रति लीटर दाम बढ़ाने होंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है। इसलिए घरेलू स्तर पर पेट्रोल-डीजल के दाम कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों से प्रभावित होते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि घरेलू बाजार में दिवाली के बाद से कीमतों में बढ़ोतरी नहीं होने से 3 मार्च, 2022 तक खुदरा तेल कंपनियों (Inflation due to petrol-diesel) का शुद्ध मार्जिन शून्य से नीचे 4.29 रुपये प्रति लीटर पहुंच गया है। अगर पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं बढ़ाए गए तो मौजूदा वैश्विक मूल्य पर इन कंपनियों का शुद्ध मार्जिन 16 मार्च तक शून्य से नीचे 10.1 रुपये और एक अप्रैल, 2022 तक 12.6 रुपये प्रति लीटर पहुंच सकता है।
क्रूड 9 साल के उच्च स्तर पर
वैश्विक बाजार में कच्चा तेल बृहस्पतिवार को बढ़कर 120 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। यह इसका 9 साल का उच्च स्तर है। हालांकि, शुक्रवार को कीमतों में कुछ नरमी के साथ कच्चा तेल 111 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। इसके बावजूद तेल की लागत और खुदरा बिक्री के दरों के बीच का अंतर बढ़ता जा रहा है।
चार महीने में 35.89 रुपये बढ़े दाम
पेट्रोलियम योजना एवं विश्लेषण प्रकोष्ठ (पीपीएसी) के मुताबिक, भारत जो कच्चा तेल खरीदता है, उसके भाव 3 मार्च, 2022 को बढ़कर 117.39 डॉलर प्रति बैरल हो गए। यह कीमत 2012 के बाद सबसे ज्यादा है। पिछले साल नवंबर की शुरुआत में जब पेट्रोल-डीजल (Inflation due to petrol-diesel) की कीमतों में वृद्धि पर रोक लगी थी, तब कच्चे तेल की औसत कीमत 81.5 डॉलर प्रति बैरल थी। इस तरह, चार महीनों में कच्चे तेल के दाम 35.89 रुपये बढ़ गए हैं।
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