नैनीताल। कोरोना काल में पब्लिक स्कूलों की फीस को लेकर हाई कोर्ट पहुंचे मामले में आज गुरुवार को तस्वीर साफ हो गई। हाई कोर्ट ने भी पब्लिक स्कूलों से फीस लेने की छूट दे दी है। इधर सरकार ने हाईकोर्ट के समक्ष उन आदेशों को रखा जिसमें उन्होंने हाल ही में ऑफलाइन पढ़ाई कराने वाली कक्षाओं की फीस लेने के आदेश दिए हैं।
हाईकोर्ट ने कोरोना काल मे प्राइवेट स्कूलों से फीस ना लेने के मामले पर सुनवाई की। गुरुवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को अवगत कराया गया कि सरकार ने कक्षा 6 से 8 तक, 9वी व 11 वीं की कक्षाओं में पढ़ने वाले छात्रों से फीस लेने का आदेश जारी कर दिया है।कोरोना समय में इन कक्षाओं के बच्चों से कवेल ट्यूशन फीस लेने का आदेश दिया था।कोर्ट ने मामले को सुनने के बाद याचिकाओ को निस्तारित कर दी है। पिछली तिथि को याचिकर्ताओ द्वारा कोर्ट में कहा गया था कि 15 जनवरी को सरकार ने एक जीओ जारी कर 10वी व 12 वी की कक्षा खोलने का आदेश दिया दिया था । यह भी कहा था कि उनसे फीस ले सकते है परन्तु 4 फरवरी को सरकार ने फिर एक जीओ जारी कर 6 से 8 और 9वी व 11वी के कक्षाएं खोलने का आदेश दिया था । इस जीओ में कहीं भी यह जिक्र नही था कि इन कक्षाओं के छात्रों से फीस लें। जिस पर कोर्ट ने पूर्व में सरकार से आज तक स्थिति म साफ करने को कहा था।
गुरुवार को सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि निजी स्कूलों को फीस लेने की अनुमति सरकार ने दे दी है।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान, न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ में उधमसिंह नगर एसोसिएशन इंडिपेंडेंट स्कूलों की याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें कहा है कि राज्य सरकार ने 22 जून 2020 को एक आदेश जारी कर कहा था कि लॉकडाउन में प्राइवेट स्कूल किसी भी बच्चे का नाम स्कूल से नहीं काटेंगे। उनसे ट्यूशन फीस के अलावा कोई फीस नही लेंगे जिसे प्राइवेट स्कूलों ने स्वीकार भी किया परन्तु पहली सितम्बर 2020 को सीबीएसई बोर्ड द्वारा सभी प्राइवेट स्कूलों को एक नोटिस जारी कर कहा गया कि बोर्ड से संचालित सभी स्कूल 10 हजार रुपये स्पोर्ट फीस, 10 हजार रुपये टीचर ट्रेनिंग फीस और 300 रुपये प्रत्येक बच्चे के रजिस्ट्रेशन पर बोर्ड को 4 नवम्बर से पहले देंगे अगर 4 नवम्बर तक उक्त का भुगतान नही किया जाता है तो 2000 हजार रुपये प्रत्येक बच्चे के हिसाब से पैनल्टी देनी होगी। जिसको एसोसिएशन द्वारा चुनोती दी गयी। एसोसिएशन का कहना है कि न तो वे किसी बच्चे का रजिस्ट्रेशन रदद् कर सकते, न ही उनसे ट्यूशन फीस के अलावा कोई फीस ले सकते है ।ऊपर से सीबीएसई बोर्ड द्वारा यह दवाब डाला जा रहा है, इस पर रोक लगाई जाए। इस समय न तो टीचर्स की ट्रेनिंग हो रही है न ही कोई स्पोर्ट्स हो रहे हैं। बोर्ड द्वारा संचालित स्कूल तो बोर्ड और राज्य के बीच मे फंस गए है, अगर वे बच्चों से ये फीस लेते है तो उनके स्कूलों का रजिस्ट्रेशन रद होने की संभावना है।