हल्द्वानी। शहर में तीन साल पहले गोरापड़ाव में हुए चर्चित पूनम हत्याकांड का खुलासा करने में पुलिस फेल हो गई है। तीन साल में पुलिस कोई भी ऐसा सुराग नहीं ढूंढ पाई, जिससे वह बदमाशों को पकड़ना तो दूर, हत्या का कारण ही बता सके। अब पुलिस ने इस हत्याकांड पर पर्दा डालने के लिए फाइनल रिपोर्ट लगा दी है।
27 अगस्त 2018 की रात हल्द्वानी के गोरापड़ाव में ट्रांसपोर्टर लक्ष्मी दत्त पांडे के घर में कुछ बदमाशों ने़ घुसकर उनकी पत्नी पूनम और बेटी अर्शी को अधमरा कर दिया था। लक्ष्मी दत्त पांडे उस समय अस्पताल में भर्ती अपनी मां के पास थे। बाद में जब वह घर पहुंचे तो पत्नी पूनम दम तोड़ चुकी थी, जबकि बेटी अर्शी मरणासन्न हालत में कमरे में पड़ी हुई थी। उसे अस्पताल पहुंचाया गया तो कई दिनों तक वह कुछ भी बता पाने की स्थिति में ही नहीं आ पाई। बाद में जब उसे होश आया और वह बयान देने के काबिल हुई तो उसने बताया कि उसने दोस्तों के लिए घर का दरवाजा खोला था, मगर कुछ बदमाश घुस आए और आते ही ताबड़तोड़ हमले शुरू कर दिए। उन्हाेंने संभलने तक का मौका नहीं दिया। बाद में जब पुलिस पहुंची तो 14 हजार रुपये और एक स्कूटी गायब मिली। तब लगा कि वारदात लूट के लिए की गई थी, मगर अगले ही दिन पुलिस ने गायब रुपये घर से बरामद कर लिए और स्कूटी को रोडवेज स्टैंड से।
एसआईटी भी फेल, पॉलीग्राफ टेस्ट भी बेनतीजा
इस बहुचर्चित हत्याकांड के पर्दाफाश के लिए पुलिस की कई टीमें लगाई गईं। हाई कोर्ट भी मामला पहुंचा और एसआईटी भी बनाई गई, जिसे दो हफ्ते में रिपोर्ट देने को कहा गया। मगर तीन साल बीत गए। वहीं, अर्शी समेत छह लोगों के पॉलीग्राफ टेस्ट भी हुए, मगर पुलिस न हत्यारों तक पहुंच सकी और न ही कारण का पता लगा सकी।
चालक-परिचालक व ट्रांसपोर्टर तक उठाए
मामले के खुलासे को लेकर पुलिस ने चालक-परिचालक से लेकर ट्रांसपोर्टरों तक से पूछताछ की। पूनम व अर्शी के दोस्तों व फेसबुक फ्रेंड से भी जानकारी जुटाई। पर कोई क्लू नहीं मिला।
जानिए इस केस में कब क्या हुआ था
- 26 अगस्त 2018 को पूनम का मर्डर हुआ।
- 30 अगस्त 2018 को खुलासे के लिए 18 टीमों का गठन किया गया।
- 30 सितंबर 2018 को अर्शी के होश पर आने पर पूछताछ की कोशिश की गई।
- चार सितंबर 2018 को टीमों की संख्या बढ़ाकर 25 कर दी गई।
- चार सितंबर 2018 को हाई कोर्ट के आदेश पर एसआइटी का गठन।
पूनम हत्याकांड के पर्दाफाश के लिए तमाम प्रयास किए गए। पुलिस और एसओजी की टीम ने कई महीनों तक प्रदेश के साथ ही यूपी तक छानबीन की, मगर हत्यारों तक नहीं पहुंच सके। इसके चलते इस केस की फाइनल रिपोर्ट लगा दी गई है।
-डा. जगदीश चंद्र, एसपी सिटी।
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