न्यूज जंक्शन 24, नई दिल्ली। बीते दिनों नूपुर शर्मा पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणी की कई पूर्व जजों ने आलोचना की है और भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिख कर इसकी शिकायत की है। केरल हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस रवींद्रन के पत्र में 15 रिटायर्ड जज, 77 रिटायर्ड नौकरशाह, 25 रिटायर्ड आर्मी अधिकारियों ने हस्ताक्षर कर उनके स्टेटमेंट का समर्थन किया है।
बीते दिनों नूपुर की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा था कि उनका बयान देश भर में आग लगाने के लिए जिम्मेदार है। इस टिप्पणी के बाद रोजाना अलग-अलग संगठन मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिख कर शिकायत कर रहे हैं। केरल हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस पीएन रवींद्रन ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिख कर कहा है कि इस टिप्पणी से सुप्रीम कोर्ट ने लक्ष्मण रेखा लांघ दी है। उनके इस पत्र पर न्यायपालिका, नौकरशाही और सेना के 117 पूर्व अधिकारियों और जजों के दस्तखत हैं।
पूर्व जज जस्टिस पीएन रवींद्रन के पत्र में लिखा है, ‘हम जिम्मेदार नागरिक के रूप में विश्वास करते हैं कि किसी भी देश का लोकतंत्र तब तक बरकरार नहीं रहेगा, जब तक सभी संस्थाएं संविधान के मुताबिक अपने कर्तव्यों का पालन नहीं करेंगी। सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायधीशों ने अपनी हाल की टिप्पणियों में लक्ष्मण रेखा लांघी है और हमें यह बयान जारी करने के लिए मजबूर किया है। दोनों जजों की टिप्पणियों ने लोगों को स्तब्ध किया है। ये टिप्पणियां न्यायिक आदेश का हिस्सा नहीं हैं. एक व्यक्ति पर देश के कई राज्यों में दर्ज मुकदमों को एकीकृत करवाना उसका कानूनी अधिकार है।’
इसके अलावा जम्मू-कश्मीर के एक संगठन ‘फोरम फॉर ह्यूमन राइट्स एंड सोशल जस्टिस’ ने भी मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिख कर नूपुर शर्मा पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी की आलोचना की है। सुप्रीम कोर्ट ने 1 जुलाई को बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए कुछ टिप्पणियां की थीं। हालांकि, आदेश की कॉपी में इनका जिक्र नहीं था। बार एंड बेंच ने जस्टिस सूर्यकांत को कोट किया, ‘जिस तरह से नूपुर शर्मा ने पूरे देश में भावनाओं को भड़काया है। देश में जो हो रहा है उसके लिए ये महिला जिम्मेदार है। हमने डिबेट देखी कि उन्हें कैसे उकसाया गया। उन्हें पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए।’
पत्र में मांग भी की गई है कि जस्टिस सूर्यकांत के सेवानिवृत्त होने तक उन्हें सुप्रीम कोर्ट के रोस्टर से हटा दिया जाना चाहिए। उन्हें नुपुर शर्मा केस की सुनवाई के वक्त की गई टिप्पणियों को वापस लेने को कहा जाना चाहिए।
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