दहशत का सफाया: वन विभाग के जाल में फंसा बाघ, गांवों में लौटी रौनक

9
खबर शेयर करें -

उत्तराखंड में गुलदार और अन्य वन्यजीवों के हमले लगातार बढ़ते जा रहे हैं, जिससे लोग दहशत के साये में जीवन जीने को मजबूर हैं। इसी बीच पौड़ी गढ़वाल जिले के जहरीखाल प्रखंड में बीते कई दिनों से आतंक का कारण बने आदमखोर बाघ को वन विभाग ने एक सफल अभियान के तहत पकड़ लिया है। बाघ को ट्रेंकुलाइज कर सुरक्षित रूप से पिंजरे में कैद किया गया, जिसके बाद अमलेशा गांव सहित आसपास के इलाकों के लोगों ने राहत की सांस ली है।

जानकारी के मुताबिक, जहरीखाल प्रखंड की ग्रामसभा अमलेशा और उससे सटे गांवों में पिछले कुछ समय से बाघ की लगातार आवाजाही देखी जा रही थी। पांच दिसंबर को ग्रामसभा अमलेशा के तोकग्राम डाल्यूंगाज में बाघ ने घर के समीप चारा पत्ती एकत्र कर रही उर्मिला देवी (60), पत्नी राजेंद्र सिंह पर हमला कर दिया था। इस हमले में उनकी मौके पर ही मौत हो गई थी। इस घटना के बाद पूरे क्षेत्र में भय और दहशत का माहौल बन गया था और ग्रामीणों का घरों से बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया था।

घटना की गंभीरता को देखते हुए वन विभाग ने तुरंत मोर्चा संभाला। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से वरिष्ठ वन्यजीव चिकित्सक डॉ. दुष्यंत शर्मा के नेतृत्व में विशेषज्ञों की टीम को क्षेत्र में तैनात किया गया। बाघ की संभावित गतिविधियों वाले स्थानों पर पिंजरे लगाए गए और वन कर्मियों की टीमों द्वारा चौबीसों घंटे निगरानी शुरू की गई।

बाघ को सुरक्षित पकड़ने के लिए विशेष रूप से पशु चिकित्सक डॉ. दुष्यंत कुमार को जिम्मेदारी सौंपी गई। कई दिनों की सतर्क निगरानी और रणनीतिक प्रयासों के बाद शुक्रवार तड़के करीब चार बजे टीम को सफलता मिली। डॉ. दुष्यंत कुमार ने बाघ को ट्रेंकुलाइज किया, जिसके बाद वन विभाग की टीम ने उसे सुरक्षित रूप से पिंजरे में कैद कर लिया।

पकड़े गए बाघ को प्राथमिक जांच के बाद कॉर्बेट टाइगर रिजर्व स्थित ढेला रेस्क्यू सेंटर भेज दिया गया है, जहां उसका विस्तृत स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा और आगे की कार्रवाई तय की जाएगी। वन विभाग ने ग्रामीणों से अपील की है कि वे फिलहाल सतर्कता बरतें और जंगल से सटे इलाकों में अकेले जाने से बचें।