नई दिल्ली। अब बच्चा ठिगना पैदा नहीं होगा। महिला के गर्भधारण से पहले उचित मात्रा में पोषाहार देने से ठिगनेपन की समस्या को दूर किया जा सकता है। भारत व दक्षिण एशियाई देशों में एक शोध में यह बात निकलकर सामने आई है। इस शोध को प्लास जर्नल में प्रकाशित भी किया गया है।
शोध के लिए स्वास्थ्य एवं आर्थिक हैसियत वाली महिलाओं के तीन समूह बनाए गए। पहले समूह में महिलाओं को गर्भधारण के 3 महीने पहले से लिपिड आधारित माइक्रोन्यूट्रिएंट्स सप्लीमेंट दिया गया। दूसरे समूह में गर्भावस्था की पहली तिमाही में यह सप्लीमेंट महिलाओं को प्रदान किया गया। जबकि तीसरे समूह की महिलाओं को कोई भी सप्लीमेंट गर्भावस्था के दौरान नहीं दिया।
जन्म के बाद सभी शिशुओं की माप ली गई तो पाया गया कि पहले समूह की महिलाओं के शिशुओं की लंबाई तीसरे समूह की महिलाओं के शिशुओं की लंबाई से औसत 5.3 एमएम ज्यादा रही। वहीं पहले समूह की महिलाओं के शिशुओं का वजन तीसरे समूह की महिलाओं के शिशुओं के वजन से 89 ग्राम ज्यादा था। इससे यह निष्कर्ष निकलकर आया कि गर्भधारण के 3 महीने पहले से अगर महिला को माइक्रोन्यूट्रिएंट्स सप्लीमेंट दिया जाए तो शिशुओं में ठिगनेपन की समस्या को 40 फीसदी और मोटापे में 24 फीसदी की कमी रहेगी। भारत समेत दक्षिण एशियाई देशों में अभी 38 फ़ीसदी बच्चे ठिगने पैदा होते हैं। इसमें बड़ा योगदान भारत का भी है।