न्यूज जंक्शन 24, नैनीताल। हाई कोर्ट ने अल्मोड़ा के सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय (Almora University) के कुलपति प्रो. एनएस भंडारी को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने की नियुक्ति खारिज कर दी है। प्रो. एनएस भंडारी इस विश्वविद्यालय (Almora University) के पहले कुलपति थी। कोर्ट का यह आदेश सरकार के लिए भी किसी झटके से कम नहीं है।
बुधवार को हाई कोर्ट कुलपति की नियुक्ति के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। कोर्ट ने मामले को सुनने के बाद उनकी नियुक्ति को यूजीसी की नियमावली के विरुद्ध पाते हुए निरस्त कर दिया। कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि उन्होंने यूजीसी की नियमावली के अनुसार 10 साल की प्रोफेसरशिप नहीं की है। सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खंडपीठ में हो रही थी।
देहरादून निवासी राज्य आंदोलनकारी रवींद्र जुगरान ने नैनीताल हाई कोर्ट में अल्मोड़ा के सोबन सिंह जीना विश्विद्यालय (Almora University) के कुलपति प्रो. एनएस भंडारी की नियुक्ति के खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में रवींद्र जुगरान ने कहा था कि राज्य सरकार की ओर से सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय (Almora University) अल्मोड़ा के कुलपति पद पर प्रो. एनएस भंडारी की नियुक्ति यूजीसी के नियमावली को दरकिनार कर की गई है।
याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि यूजीसी की नियमावली के अनुसार वाइस चांसलर नियुक्त होने के लिए दस साल की प्रोफेसरशिप होनी आवश्यक है, जबकि एनएस भंडारी ने करीब आठ साल की प्रोफेसरशिप की है। बाद में प्रोफेसर प्रो. एनएस भंडारी उत्तराखंड पब्लिक सर्विस कमीशन के मेंबर नियुक्त हो गए थे । उस दौरान की सेवा उनकी प्रोफेशरशिप में नही जोड़ी जा सकती है, इसलिए उनकी नियुक्ति अवैध है और उनको पद से हटाया जाए।
इस पर हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान प्रो. एनएस भंडारी की कुलपति पद पर नियुक्ति को अवैध पाया और बुधवार को इस पर अपना फैसला सुनाते हुए प्रो. एनएस भंडारी की नियुक्त को निरस्त कर दिया।
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