उत्तराखंड में बिजली कटौती से अभी राहत नहीं, एक हफ्ते और झेलनी पड़ेगी परेशानी

564
# Electricity bill of 34 billion
खबर शेयर करें -

न्यूज जंक्शन 24, देहरादून। उत्तराखंड में बिजली संकट (power cut in Uttarakhand) अभी खत्म होती नहीं दिख रही। प्रदेशवासियों को अभी हफ्ते भर और बिजली संकट (power cut in Uttarakhand)  झेलना पड़ेगा। इस दौरान घंटो कटौती जारी रहेगी। इसे लेकर खुद यूपीसीएल ने स्वीकार किया है कि वह एक सप्ताह में कटौती को नियंत्रण में लाएगा। प्रदेश को 100 मेगावाट बिजली की जरूरत है, जिसमें से मुख्यमंत्री की सख्ती के बाद अधिकारी असम के बोंगाईगांव पावर प्लांट से 36 मेगावाट बिजली का इंतजाम ही कर पाए हैं, जो प्रदेश की मौजूदा मांग को पूरा करने के लिए नाकाफी है।

एमडी अनिल कुमार ने बताया कि उद्योगों में बिजली की खपत (power cut in Uttarakhand)  अचानक बढ़ गई है। सामान्य से करीब 20 प्रतिशत अधिक बिजली खपत हो रही है। वहीं, अप्रैल माह में तापमान बढ़ोतरी की वजह से भी खपत में पांच से दस फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने बताया कि पिछले साल इन दिनों बाजार में बिजली करीब 3.75 रुपये प्रति यूनिट थी जो कि आज 11 से 12 रुपये तक खरीदनी पड़ रही है।

सालाना मांग 2468 मेगावाट है डिमांड

प्रदेश में बिजली की सालाना मांग 2468 मेगावाट है। विभिन्न परियोजनाओं से यहां 5211 मेगावाट बिजली पैदा होती है लेकिन राज्य कोटे के तहत 1320 मेगावाट बिजली (power cut in Uttarakhand)  ही मिलती है।

तेजी से बढ़े उपभोक्ता, भार भी बढ़ा, उत्पादन नहीं

यूपीसीएल के मुताबिक, वर्ष 2001 में 8.3 लाख बिजली उपभोक्ता थे, जिनकी संख्या इस साल मार्च में 27.28 लाख पर पहुंच गई। उपभोक्ताओं की संख्या में 229 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। प्रदेश में 2001 में बिजली का भार 1466 मेगावाट था जो कि मार्च तक बढ़कर 7967 यानी 443 प्रतिशत बढ़ोतरी पर आ गया। इसके सापेक्ष, यूजेवीएनएल 2001 में 998 मेगावाट बिजली देता था जो कि अब 1356 मेगावाट तक आ गया है। यानी बिजली का उत्पादन केवल 35 फीसदी ही बढ़ा है।

से ही लेटेस्ट व रोचक खबरें तुरंत अपने फोन पर पाने के लिए हमसे जुड़ें

हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें।

हमारे यूट्यब चैनल से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें।

हमारे टेलीग्राम ग्रुप से जुड़ने के लिए क्लिक करें।

हमारे फेसबुक ग्रुप से जुड़ने के लिए क्लिक करें।