न्यूज जंक्शन 24, नई दिल्ली। मार्च की शुरुआत यानी पहली तारीख को ही आम आदमी को महंगाई (inflation) का दोहरा झटका लगा है। जहां एक ओर अमूल दूध के दाम में दो रुपये प्रति लीटर का इजाफा किया गया है, तो वहीं मंगलवार को पेट्रोलियम कंपियों ने एलपीजी सिलेंडर के दाम में बढ़ोतरी कर दी है। कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर का दाम 105 रुपये बढ़ गया है। यह परेशानी अागे अभी और बढ़ने वाली है।
सोमवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण इसकी आशंका (inflation)जाहिर कर चुकी हैं। उन्होंने कृषि क्षेत्र पर बड़ा प्रभाव पड़ने की बात कहते हुए अपनी चिंता जाहिर की है। उन्होंने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि इस यु्द्ध के चलते देश में आवश्यक चीजो के दाम पर असर पड़ सकता है। जापानी रिसर्च एजेंसी नोमुरा ने भी कहा है कि अगर युद्ध आगे बढ़ा तो एशिया में इसका सबसे ज्यादा असर भारत पर होने वाला है। बात अब उन चीजों की, जो भविष्य में आम आदमी को परेशान कर सकती है।
घरेलू एलपीजी सिलेंडर
पहली तारीख को कॉमर्शियल सिलेंडर के दाम बढ़ाए गए, मगर घरेलू एलपीजी सिलेंडर की कीमत अभी भी स्थिर रखी गई है। हालांकि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण कच्चे तेल की कीमत में 102 रुपये डॉलर प्रति बैरल इजाफा हुआ है। ऐसे में संभावना व्यक्त की जा रही है कि आने वाले समय में या कहें तो पांच राज्यों में जारी विधानसभा चुनावों के परिणाम आने के बाद घरेलू सिलेंडर के दाम में भी बढ़ोतरी (inflation) की जा सकती है।
पेट्रोल-डीजल
दिवाली के बाद से स्थिर पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भी 10 मार्च को चुनाव परिणाम आने के बाद तेज बढ़ोतरी की जा सकती है। बता दें कि रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के चलते कच्चे तेल की कीमतें आठ साल के शिखर पर पहुंच चुकी हैं। लेकिन इसके विपरीत तेल कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल के दाम स्थिर रखे हुए हैं। इसका बड़ा कारण चुनाव है और विशेषज्ञों की मानें तो कंपनियों ने चुनाव परिणामों के बाद आम आदमी की जेब पर बोझ डालने की तैयारी कर ली है। विशेषज्ञों के अनुसार, युद्ध के असर के चलते जल्द ही क्रूड ऑयल के दाम 120 से 150 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकते हैं। यहां आपको बता दें कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अगर कच्चे तेल की कीमतों में एक डॉलर का इजाफा होता है तो देश में पेट्रोल-डीजल का दाम 50 से 60 पैसे बढ़ जाता है। ऐसे में उत्पादन कम होने और सप्लाई में रुकावट के चलते इसके दाम में तेजी आना तय है और उम्मीद है कि कच्चा तेल 150 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचने से भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 10 से 15 रुपये तक की वृद्धि देखने को मिल सकती है।
खाने का तेल
अगर रूस और यूक्रेन के बीच यूद्ध लंबा खिंचता है तो पहले से ही महंगाई से परेशान भारत के लिए तो ये जबरदस्त मार से कम नहीं होगा। क्योंकि भारत खाने के तेल का बड़े पैमाने पर यूक्रेन से आयात करता है। यूक्रेन सूरजमुखी के तेल का सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत की बात करें तो यहां पिछले कुछ समय से खाने के तेल के दाम पहले से ही आसमान पर हैं और युद्ध के चलते सप्लाई रुकी तो इसकी कीमतों में और आग लगना संभव है।
खाद
यूक्रेन से जहां खाद्य तेल आयात हाेता है, वहीं रूस भारत को खाद देता है और युद्ध के हालातों के बीच इसके आयात में भी रुकावट आ सकती है। देश में पहले से ही यूरिया संकट है तो हालात और खराब होंगे, इस समस्या का सीधा असर किसानों पर पड़ेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसीलिए कृषि क्षेत्र को लेकर दाे दिन पहले चिंता जताई थी।
एसी-फ्रिज
विशेषज्ञों का कहना है कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग का असर हमें एसी और फ्रिज में भी महंगाई के रूप में देखने को मिल सकता है। रूस और यूक्रेन निकेल, तांबा और लोहा जैसी धातुओं के प्रमुख वैश्विक उत्पादक देश हैं। इसके साथ ही ये दोनों देश मेटल उत्पादों से जुड़े आवश्यक कच्चे सामानों का निर्माण और आयात भी बड़े स्तर पर करते हैं। रूस पर प्रतिबंधों के डर ने इन धातुओं की कीमतों को और बढ़ा दिया है। इससे एसी , फ्रिज और वाशिंग मशीन समेत अन्य इलेक्ट्रिक सामानों के दाम में इजाफा हो सकता है। क्योंकि इन उत्पादों के निर्माण में स्टील, एल्यूमिनियम जैसे मेटल्स प्रमुख रूप से काम आते हैं।
ऑटोमोबाइल सेक्टर
देश का ऑटोमोबाइल सेक्टर सेमीकंडक्टर की कमी से जूझ रहा है। ऐसे में रूस और यूक्रेन की बीच जारी जंग का प्रभाव इस क्षेत्र पर पड़ना तय है। क्याेंकि यूक्रेन सेमीकंडक्टर की खास धातु पेलेडियम और नियोन का उत्पादन करता है। जंग के हालात में इन धातुओं का उत्पादन प्रभावित होगा और सेमीकंडक्टर की कमी का ये संकट और भी अधिक बढ़ जाएगा।
खुदरा महंगाई
क्रूड ऑयल की कीमतों में तेजी देश में खुदरा महंगाई में और इजाफा करने वाली साबित होगी। क्योंकि कच्चा तेल महंगा हुआ, तो देश में पेट्रोल-डीजल और गैस पर पड़ने वाला है। पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने से माल ढुलाई पर खर्च बढ़ेगा और सब्जी-फल समेत रोजमर्रा के सामनों पर महंगाई (inflation) बढ़ेगी जो कि आपकी जेब पर सीधा असर डालेगी।
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