देहरादून। गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री होंगे। तीरथ सिंह रावत की बेदाग छवि और आरएसएसप की पृष्ठभूमि ने ही उन्हें उत्तराखंड राज्य के मुखिया की कुर्सी तक लेकर आया है। बुधवार को भाजपा विधायक मंडल दल की बैठक में उनके नाम का प्रस्ताव कार्यवाहक मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ही सबके सामने रखा। कहा जाता है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत कभी तीरथ सिंह रावत के धुर प्रतिद्वंद्वी माने जाते थे। तीरथ भुवन चंद्र खंडूड़ी और त्रिवेंद्र भगत सिंह कोश्यारी के खेमे के थे और ये दोनों प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए एक-दूसरे के आमने सामने आ गए थे, मगर बाजी तीरथ सिंह रावत के हाथ लगी और त्रिवेंद्र सिंह रावत ने केंद्र की राह पकड़ ली थी। लेकिन बुधवार को त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आखिरी वक्त में मुख्यमंत्री के लिए जब तीरथ का नाम लिया तो सभी हैरान रह गए। पहली बार तीरथ सिंह 1997 में यूपी से विधायक बने थे। तब यूपी का विभाजन नहीं हुआ था। संगठन के प्रति निष्ठा को देखते हुए उन्हें राष्ट्रीय सचिव और फिर हिमाचल प्रदेश का प्रभारी बनाया गया।
तीन भाइयों में हैं सबसे छोेटे
तीरथ सिंह का जन्म पाैड़ी गढ़वाल के असवालस्यूं के सीरो गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम कलम सिंह रावत है। वह तीन भाई हैं। सबसे बड़े भाई जसवंत सिंह रावत पूर्व सैनिक हैं। वह सीरों गांव में ही रहते हैं। दूसरे भाई कुलदीप सिंह रावत प्राइवेट सेक्टर में जॉब करते हैं। वह देहरादून के क्लेमेंटटाउन क्षेत्र में निवास करते हैं। वह 1985 से देहरादून में रह रहे हैं। तीनों में तीरथ सिंह रावत सबसे छोटे भाई हैं।
खंडूरी के खास रहे हैं तीरथ
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत 2007 में जब भाजपा की परिवर्तन यात्रा शुरू हुई तो तब खंडूरी जरूरी है का नारा गढ़ने में मुख्य रणनीतिकार रहे। 2017 के विस चुनाव में तीरथ का विधायकी का टिकट काटा गया तो उन्होंने विरोध नहीं किया और पार्टी के निर्णय के साथ बने रहे औऱ प्रत्याशी बनाये गए सतपाल महाराज का खुलकर प्रचार किया। 2019 में तीरथ को खंडूरी की परंपरागत सीट पौड़ी गढ़वाल से सांसद का टिकट दिया गया। सामने राजनीतिक गुरु खंडूरी के बेटे मनीष खंडूरी कांग्रेस के उम्मीदवार थे, मगर तीरथ की उम्मीदवारी को देखते हुए पूर्व सीएम खंडूरी ने पुत्र के लिए प्रचार नहीं किया और तीरथ के लिए अपील जारी की। नतीजा निकला कि तीरथ ने मनीष को तीन लाख से अधिक वोटों से हराया। त्रिवेंद्र राज में तीरथ ने कभी सरकार को असहज नहीं किया।