न्यूज जंक्शन 24, नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ की बिलासपुर हाईकोर्ट (Bilaspur High court) ने पति-पत्नी से संबंधित एक मामले में अभूतपूर्व फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि पत्नी अपने पति से शारीरिक संबंध बनाने से इन्कार करे तो वह क्रूरता माना जाएगा। दरअसल, महिला अपने पति को पसंद नहीं करती थी, इतना ही नहीं, वह उसे मोटा कहकर 10 साल से शारीरिक संबंध बनाने से मना कर रही थी।
बिलासपुर के विकास नगर में रहने वाले एक शख्स की शादी 25 नवंबर 2007 को हुई थी। शादी के कुछ माह तक उसकी पत्नी ससुराल में रही और उसके बाद वह अपने मायके चली गई। पत्नी अब बेमेतरा में रहती है, जहां वह शिक्षा विभाग में नौकरी कर रही है। शख्स ने पत्नी से तलाक के लिए फैमिली कोर्ट में परिवाद प्रस्तुत किया था।
इस परिवाद में उसने बताया था कि पत्नी ने 2011 में बिना बताए ही बेमेतरा में शिक्षाकर्मी की नौकरी ज्वॉइन कर ली। बाद में जब पति ने उससे घर आने के लिए कहा तो वह उलटा पति को ही बेमेतरा में रहने के लिए दवाब बनाने लगी। पति का ये भी कहना था कि उसकी पत्नी उसे पसंद नहीं करती थी। इतना ही नहीं वह उसे मोटा कहकर 10 साल से शारीरिक संबंध बनाने से मना कर रही थी। ऐसे में परेशान पति ने फैमिली कोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन उसकी याचिका खारिज हो गई।
इस फैसले के खिलाफ पति ने हाईकोर्ट (Bilaspur High court) में अपील की। सुनवाई के दौरान पत्नी की तरफ से अपने बचाव में तर्क प्रस्तुत किए गए। कोर्ट ने पति-पत्नी के बयानों के आधार पर पाया कि दंपती में साल 2010 से ही शारीरिक संबंध नहीं था। वह पति को मोटा, भद्दा कहती थी और नापसंद करती थी। पति को जानकारी दिए बिना ही शिक्षाकर्मी की नौकरी ज्वॉइन कर ली थी और अपने पति के बजाय मायकेवालों को नॉमिनी बनाया था। इस पर पति ने बिलासपुर हाईकोर्ट (Bilaspur High court) में याचिका दाखिल की, जहां जस्टिस पी सैम कोशी व जस्टिस पीपी साहू की डिवीजन बेंच ने फैमिली कोर्ट के आदेश को खारिज करते हुए यह बड़ा फैसला सुनाया है।
हाईकोर्ट (Bilaspur High court) ने फैसले में कहा है कि अगस्त 2010 से पति-पत्नी के रूप में दोनों के बीच कोई शरीरिक संबंध नहीं है। पति या पत्नी के साथ शारीरिक संबंध से इनकार करना क्रूरता के बराबर है। क्योंकि किसी भी पति-पत्नी के जीवन के बीच शारीरिक संबंध विवाहित जीवन के स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है। लेकिन अगर एक पति या पत्नी के साथ शारीरिक संबंध से इनकार करना क्रूरता के बराबर है। कोर्ट का विचार है कि इस मामले में पत्नी ने पति के साथ क्रूरता का व्यवहार किया है।
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