उत्तराखंड में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने वन विभाग से वनारोपण निधि प्रबंधन व योजना प्राधिकरण (कैंपा) से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी मांगी है। इसमें कैंपा के पिछले वर्षों की खर्च और अन्य महत्वपूर्ण बिंदुओं की विस्तृत जानकारी शामिल है। इस कार्रवाई के बाद से वन महकमे में हड़कंप मच गया है, और अधिकारी इस सूचना का जवाब तैयार करने में जुटे हुए हैं।
यह स्थिति उस समय उत्पन्न हुई जब कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की पाखरो रेंज में गड़बड़ी का मामला सामने आया था। इसके बाद केंद्रीय जांच एजेंसियों ने इस मामले की गंभीरता से पड़ताल शुरू की। ईडी ने पाखरो मामले में वन विभाग के कई अधिकारियों के आवास पर छापेमारी की थी, जहां कुछ के यहां नकदी और सोना भी मिला था। इस मामले की जांच जारी है और सीबीआई भी इसमें शामिल है।
सूत्रों के अनुसार, ईडी ने अब कैंपा से जुड़े बजट की जानकारी मांगी है। ईडी के पत्र में बीते कई वर्षों के बजट का ब्योरा, उस बजट का उपयोग कहां-कहां हुआ, और कैंपा के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के कार्यकाल की पूरी जानकारी मांगी गई है। रंजन मिश्रा, कैंपा के सीईओ और प्रमुख वन संरक्षक, ने ईडी का पत्र मिलने की पुष्टि की है।
ईडी ने जो जानकारी मांगी है, वह पाखरो मामले से संबंधित है या कैंपा मद के किसी नए पहलू की पड़ताल के लिए, यह स्पष्ट नहीं है। माना जा रहा है कि ईडी का पत्र कैंपा मद के आवंटन और उसके मानकों के पालन को लेकर है। जानकारी के अनुसार, वन भूमि हस्तांतरण के दौरान प्रयोक्ता विभाग वन भूमि की नेट प्रेजेंट वैल्यू की राशि जमा करता है, जो बाद में केंद्र से राज्य को कैंपा मद के माध्यम से मिलती है।
इस राशि का उपयोग क्षतिपूरक वनीकरण, मृदा संरक्षण, जल संरक्षण, और मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने जैसे कार्यों में किया जाता है। सूत्रों का कहना है कि संभवतः इस दौर में कैंपा से हुए आवंटन में मानकों का पालन नहीं किया गया है, जिसे लेकर ईडी ने विस्तृत जानकारी मांगी है।