देहरादून। मुजफ्फरनगर कांड की बरसी पर प्रदेश सरकार ने आज राज्य आंदोलनकारियों के लिए बड़ा एलान किया है। मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी अस्पतालों की तरह राजकीय मेडिकल कालेजों में मुफ्त उपचार की सुविधा मिलेगी। इसके साथ ही उद्योग धंधों में राज्य आंदोलनकारियों और उनके परिजनों को प्राथमिकता के आधार पर रोजगार दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी शनिवार को रामपुर तिराहा मुजफ्फरनगर स्थित शहीद स्मारक पर शहीद आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि शहीदों के सपनों और राज्य आंदोलनकारियों की भावनाओं के अनुरूप उत्तराखंड को हर क्षेत्र में सरकार आगे बढ़ाएगी। जनता, सरकार के भाव को समझे। उन्होंने कहा कि राज्य आंदोलनकारियों की समस्याओं का प्राथमिकता के आधार पर निदान किया जाएगा। आंदोलनकारियों को सरकारी अस्पतालों की तरह राजकीय मेडिकल कालेजों में मुफ्त उपचार की सुविधा मिलेगी। इसके साथ ही उद्योग धंधों में राज्य आंदोलनकारियों और उनके परिजनों को प्राथमिकता के आधार पर रोजगार दिया जाएगा।
क्या है मुजफ्फनगर कांड
उत्तराखंड आंदोलन के दौरान 1994 में एक अक्टूबर की देर रात मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहे पर राज्य आंदोलनकारियों के साथ बर्बरता की गई थी। उत्तर प्रदेश से अलग राज्य की मांग लेकर देहरादून और प्रदेश के अन्य स्थानों से दिल्ली जा रहे आंदोलनकारियों को मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहे पर पुलिस ने रोक लिया था। इस दौरान पथराव हुआ तो तत्कालीन डीएम अनंत कुमार सिंह घायल हो गए थे, जिसके बाद पुलिस ने आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज कर दिया था, गोलियां भी चलाई गई थीं, जिसमें सात लोग शहीद हो गए थे और 17 घायल हो गए थे। यही नहीं आंदोलन में शामिल महिलाओं से छेड़छाड़ और बलात्कार तक की वारदार की गई थी। इसकी सीबीआई जांच तक की गई, मगर आज तक किसी आरोपी को सजा नहीं मिली। 27 साल से राज्य आंदोलनकारी इस कांड को लेकर न्याय की जंग लड़ रहे हैं। यह घटना इतिहास में रामपुर तिराहा कांड या मुजफ्फरनगर कांड के नाम से दर्ज है।
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