हरिद्वार। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव दो दिन के उत्तराखंड दौरे पर थे। इस दौरान वह हरिद्वार पहुंचे और साधू-संतों से मुलाकात की। उन्होंने ज्योतिष और शारदा-द्वारका पीठ के जगदगुरु शंकाराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती और उनके शिष्य एवं उत्तराधिकारी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से भी मुलाकात की और आशीर्वाद लेते हुए छह साल पुराने एक मामले में दोनों से माफी भी मांगी। इसके बाद से ही यह चर्चा जोर पकड़ चुकी है कि अाखिरी छह साल पहले क्या हुआ था, जिसके लिए अखिलेश यादव ने शंकराचार्य और उनके शिष्य से अब जाकर माफी मांगी है।
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ये था मामला
दरअसल, बात वर्ष 2015 की है, जब उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार और अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे। उस समय वाराणसी में एक कार्यक्रम के तहत साधू-संत गणेश प्रतिमा विसर्जन करने गंगा तट की आेर जा रहे थे, मगर स्थानीय प्रशासन ने उन्हें प्रतिमा विसर्जन करने से रोक दिया था। इससे नाराज संत गंगा तट पर ही धरने पर बैठ गए थे। आधी रात को संतों को धरनास्थल से हटाने के लिए प्रशासन ने उन पर लाठीचार्ज करा दिया था। इसमें स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद समेत कई संतों को चोट आई थी। यही नहीं, 1000 ये ज्यादा लोगों पर मारपीट और दंगा भड़काने का मुकदमा भी पुलिस ने दर्ज कर लिया था। पुलिस ने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के हाथ से गणेश प्रतिमा छीनकर उसे जबरन दूसरी जगह विसर्जित कर दिया था। इसे लेकर संत समाज ने जोरदार विरोध दर्ज किया था, लेकिन उस समय मुख्यमंत्री रहे अखिलेश यादव ने दोषी अधिकारियों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया। इसी घटना को लेकर अब छह साल बाद अखिलेश यादव ने माफी मांगी है, जिसे संतों ने स्वीकार कर लिया है।