कल से बदल जाएंगे काम करने के तरीके, दफ्तरों में काम के घंटे बढ़ेंगे, इन हैंड सैलरी हो जाएगी कम, ये फायदे भी होंगे

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# new labour code
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न्यूज जंक्शन 24, नई दिल्ली। कल से जुलाई का महीना शुरू हो रहा है। नए महीने में हर बार कई नियम बदलते हैं। इस बार भी कई नियम बदल रहे हैं। मगर इन बदल रहे नियमों में सबसे अधिक चर्चा जिसकी हो रही है, वह श्रम कानून यानी लेबर कानून (new labour code) है। एक जुलाई से सरकार नया लेबर कोड लागू करने जा रही। इस कानून में कुछ ऐसे फैसले हैं, जो बहुत बड़े बदलाव लेकर आएंगे। इसका सीधा असर आपकी सैलरी पर होगा। आपकी साप्ताहिक छुट्टियां भी प्रभावित होंगी। हालांकि, इसे लागू करने की जिम्मेदारी राज्यों की है। जिन राज्यों में इसे लागू किया जाएगा, वहीं पर ही ये बदलाव दिखेंगे।

नया लेबर कानून चार नए लेबर कोड से जुड़े हैं। ये मजदूरी, सामाजिक सुरक्षा, औद्योगिक संबंधों और पेशे से जुड़ी असुरक्षा से संबंधित है। जहां पर भी इसे लागू किया जाएगा, वहां पर काम करने की शर्तों में बदलाव होगा। आपको पहले के मुकाबले अधिक छुट्टियां मिलेंगी, लेकिन बाकी के दिन आपको अधिक घंटे तक काम करने होंगे।

नए लेबर कोड (new labour code) में आठ घंटे की जगह 12 घंटे काम का प्रावधान किया गया है। कंपनियां अपने कर्मचारियों से आठ घंटे की जगह 12 घंटे काम करने को कह सकती है, किसी भी कर्मचारी को एक सप्ताह में 48 घंटे काम करना आवश्यक होगा। पर इससे साप्ताहिक छुट्टियां बढ़ जाएंगी। कर्मियों को हफ्ते में 3 दिन की साप्ताहिक छुट्टी मिलेगी।

अगर आप लंबी छुट्टी प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको एक साल में कम से कम 180 दिनों तक काम करने होंगे। यानी एक साल में छह महीना काम करना होगा। जबकि पहले के लेबर कोड में लंबी छुट्टी प्राप्त करने के लिए 240 दिनों तक काम करना जरूरी होता था।

इन हैंड सैलरी में हो जाएगी कमी

यही नहीं, नया लेबर कोड लागू होने पर कामगारों की इन हैंड सैलरी में भी कमी आएगी। कंपनियों को अपने कर्मियों की बेसिक सैलरी को बढ़ाकर कम से कम ग्रॉस सैलरी का 50 प्रतिशत करना पड़ेगा। इसका मतलब यह हुआ कि आपकी बेसिक सैलरी अधिक है, तो आपका पीएफ कंट्रीब्यूशन अधिक होगा।

इसका दूसरा फायदा यह होगा कि रिटायरमेंट के समय आपके पास मोटी रकम होगी। ग्रेच्युटी की राशि भी अधिक होगी।अगर आप कोई भी कंपनी छोड़ना चाहते हैं, तो कंपनी को पूरा सेटलमेंट मात्र दो दिनों के अंदर ही करना होगा। यानी नौकरी छोड़ने या छंटनी से प्रभावित होने पर सेटलमेंट दो दिनों में ही करना होगा। हालांकि इससे वर्तमान में उनके खाते में क्रेडिट होने वाली सैलरी की राशि 7 से 10 फीसदी तक घट सकती है।

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