न्यूज जंक्शन 24, देहरादून हल्द्वानी। रूसी हमले के बाद यूक्रेन में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए भारत सरकार ने प्रयास तेज कर दिया है। कई भारतीय यूक्रेन से निकलकर पोलैंड, हंगरी की सीमाओं तक पहुंच भी गए हैं, मगर इस बीच खबर ये भी है कि इस रेस्क्यू अभियान के बाद भी 300 भारतीय छात्र- छात्राएं यूक्रेन (Indian students in Ukraine) में फंस गए हैं।
इनमें दो छात्राएं उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर के रुद्रपुर और एक ऋषिकेश की भी बताई जा रही हैं। ये सभी यूक्रेन के सुमी शहर में (Indian students in Ukraine) हैं, जाे इस देश के पश्चिमी भाग में आखिरी छोर पर बसा है। यहां से यूक्रेन के पड़ाेसी देश हंगरी की सीमा लगती है। मगर हंगरी एयरपोर्ट यूक्रेन सीमा से 900 किमी दूर है। सुमी शहर में अब रूसी सेना का कब्जा हो चुका है। ऐसे में ये सभी छात्र-छात्राएं घर वापसी को लेकर आशंकित हैं।
ऋषिकेश के सोमेश्वर नगर की रहने वाली जिया बलूनी पुत्री राकेश बलूनी यूक्रेन के सूमी शहर के सुमी स्टेट यूनिवर्सिटी से एबीबीएस की पढ़ाई कर रही हैं। जिया एमबीबीएस की चौथे वर्ष की छात्रा हैं। जिया बलूनी ने परिजनों को फोन कर बताया है कि कॉलेज के हास्टल में उनके साथ करीब 300 भारतीय छात्र और छात्राएं हैं। जिया ने बताया कि सुमी शहर यूक्रेन के पश्चिमी भाग (Indian students in Ukraine) में है। उन्होंने बताया कि यहां सबसे निकटम हंगरी हवाई अड्डा यूक्रेन की सीमा पर है। वहां तक पहुंचने में करीब 18 से 20 घंटे का समय लगता है। जिया ने बताया कि सुमी शहर में मिलिट्री स्कूल पर रूसी सेना ने हमला किया था। ऐसे में उनके सहित सभी भारतीय छात्र अपनी सुरक्षा को लेकर बेहद चिंतित हैं।
हालांकि भारतीय दूतावास के अधिकारी लगातार उनके संपर्क में हैं, लेकिन यूक्रेन (Indian students in Ukraine) के आखिरी छोर पर होने के चलते उन लोगों तक सबसे आखिरी में मदद पहुंचने का अंदेशा है। जिया ने बताया कि फिलहाल हास्टल में खाद्यान्न की कमी नहीं है। उनको हास्टल से निकलने की मनाही है। जिया ने भारत सरकार से सुमी में फंसे 300 छात्रों की देश वापसी के लिए प्रभावी कदम उठाने की अपील की है।
सुमी में फंसी रुद्रपुर की मॉडल कालोनी और एलायंस कालोनी में रहने वाली दोनों छात्राओं (Indian students in Ukraine) ने भी बताया कि सुमी शहर पर रूसी सेना के कब्जा कर लेने के बाद वह किसी को बाहर नहीं जाने दे रही है। वहां की सरकार ने भी हाथ खड़ा कर दिए है कि वह बॉर्डर पर किसी को नहीं पहुंचा सकती है। इससे छात्राएं परेशान हैं।
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