देहरादून। सफाई कर्मचारियों के बाद अब उत्तराखंड में ऊर्जा कर्मचारियों ने भी 14 सूत्रीय मांगाें को लेकर हड़ताल शुरू कर दिया है। इससे शट डाउन की स्थिति बन गई है। इसे लेकर सोमवार को पहले सचिव ऊर्जा सौजन्या और शाम को मुख्य सचिव एसएस संधू ने कर्मचारियों से वार्ता की थी, मगर वार्ता बेनतीजा रही। इसके बाद सोमवार रात 12 बजे से ही यूपीसीएल, यूजेवीएनएल, पिटकुल के 10 संगठनों के करीब 3500 बिजली कर्मचारी हड़ताल पर चले गए।
कर्मचारियों का कहना है कि उपनल संविदा और सेल्फ हेल्प कार्मिकों के समान कार्य के लिए समान वेतन देने, विभिन्न भत्ते देने सहित 14 सूत्रीय मांगों को लेकर उन्होंने हड़ताल करने का निर्णय लिया है।यदि उनकी मांगों को लेकर कोई समाधान नहीं निकला, तो कर्मचारियों को अनिश्चिकालीन हड़ताल पर जाने को मजबूर होना पड़ेगा। तीनों ऊर्जा निगम के कर्मचारी बीते 4 सालों से एसीपी की पुरानी व्यवस्था और उपनल के माध्यम से कार्योजित कार्मिकों के नियमितीकरण और समान कार्य समान वेतन की मांग को लेकर लामबंद हैं।
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने कहा कि उत्तराखंड की सरकार की न नीयत है और न ही कोई नीति है। उन्होंने कहा कि बिजली कर्मचारियों का काम अंधेरें को खत्म कर रोशनी लाना है, लेकिन सरकार उनके जीवन में अंधेरा लाने की जिद पर अड़ी है। 40 साल से जो लाभ बिजली कर्मचारियों को मिलते आ रहे थे, वह 2017 के बाद से खत्म कर दिए गए। उन्होंने कहा कि वह हड़ताल नहीं चाहते, लेकिन सरकार उन्हें इसके लिए मजबूर कर रही है।
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