देहरादून। प्रदेश सरकार में नेतृत्व परिवर्तन के बाद मुख्यमंत्री बने तीरथ सिंह रावत लगातार पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के फैसलों को पलट रहे हैं। शुक्रवार को हुई कैबिनेट में गैरसैंण कमिश्नरी के फैसले को भी रद कर दिया, साथ ही त्रिवेंद्र द्वारा लागू कई योजनाओं का नाम भी बदल दिया है। इसको लेकर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की नाराजगी शनिवार को जुवां पर आ ही गई। उन्होंने साफ कहा कि उनकी सरकार के सभी फैसले व्यापक जनहित में लिए थे और विधायकों की सहमति से लिए थे।
अपने आवास पर पत्रकारों से बात करते हुए त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गैरसैंण मंडल के फैसले को पलटने के मामले को नई सरकार की अपनी सोच बताया। उन्होंने कहा कि उनका मकसद गैरसैंण को मंडल बनाने का बिल्कुल भी गलत नहीं था। ग्रीष्मकालीन राजधानी परिक्षेत्र के विकास और भविष्य की सोच के साथ यह निर्णय लिया गया था। हमारी मंशा थी कि गैरसैंण कमिश्नरी गढ़वाल और कुमाऊं की मिलीजुली संस्कृति का प्रयाग साबित हो। उन्होंने कहा कि हर फैसले के पीछे ठोस फैसले और आम सहमति थी। देवस्थानम बोर्ड का मकसद भी सिर्फ व्यवस्था बनाना था, पुरोहितों, पंडों और हकहकूकधारियों के हितों से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई थी। उन्होंने कहा कि अपनी सरकार में सौभाग्यवती किट योजना शुरू की थी, जिसका नाम बदलकर सरकार ने महालक्ष्मी कर दिया है। त्रिवेंद्र ने इस नाम को भी अच्छा बताया।


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