लखनऊ। उत्तर प्रदेश के एटा जिले में कोरोना टीका लगाने के बहाने मूक-बधिर युवक की नसबंदी करा दी गई। इसका आरोप क्षेत्र की एक आशा कार्यकर्ता पर लगा है। नसबंदी कराने के बाह युवक बेहोश हो गया तो आशा उसी हालत में उसे जिला अस्पताल से लाकर उसके घर छोड़ आई, जिससे बाद में उसकी हालत और खराब हो गई और परिजन युवक को आगरा रेफर करा ले गए। युवक के भाई ने आरोपी आशा कार्यकर्ता के खिलाफ तहरीर दी है।
अवागढ़ ब्लॉक के गांव बिशनपुर निवासी मूक बधिर युवक के भाई अशोक ने बताया कि आशा कार्यकर्ता उसके घर आई और भाई को टीका लगवाने के लिए भेजने की बात कही। उनसे कहा गया कि आपके भाई के खाते में 3500 रुपये आएंगे। इस पर वह भाई की बैंक पासबुक और आधार कार्ड भी ले गई। जब अशोक ने साथ चलने की बात कही तो आशा ने अकेले भाई को भेजने के लिए बोल दिया। इस पर अशोक ने अपने भाई को आशा के साथ जिला अस्पताल भेज दिया। अस्पताल से जब उसका भाई बेहोशी की हालत में वापस अाया तो घरवालों को जानकारी हुई कि आशा ने कोरोना वैक्सीन न लगवाकर उसकी नसबंदी कराई है। अशोक ने बताया कि उसके भाई की हालत ठीक नहीं थी। इस पर वह उसे फिर जिला अस्पताल लेकर आए। यहां से भाई को आगरा रेफर कर दिया गया। इमरजेंसी में ड्यूटी कर रहे चिकित्सक राहुल ने बताया। युवक बेहोशी की हालत में था। परिजन उसे आगरा रेफर करा ले गए हैं।
पीड़ित युवक के भाई अशोक ने बताया कि जब उन्होंने आशा कार्यकर्ता से शिकायत की। इस पर वह बिगड़ गई और 20 हजार रुपए लेकर मामले को रफा-दफा करने की बात कही। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. उमेश त्रिपाठी ने बताया कि आशा द्वारा कोरोना वैक्सीन के बहाने नसबंदी कराने का मामला संज्ञान में आया है। जांच कराई जा रही है। इसके बाद कार्रवाई की जाएगी।
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