Big news : कहीं आप मिलावट वाला ब्लड तो नहीं खरीद रहे हैं, इस गिरोह ने बढ़ाई चिंता। इतना नामी डॉक्टर गिरफ्तार…

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लखनऊ : उत्तर प्रदेश में खून की तस्करी का बड़ा मामला सामने आया है। खुद एक डॉक्टर यह काम अपने सहयोगी के साथ करता था। 12 सो रुपए प्रति यूनिट में ब्लड की खरीद कर दलालों के माध्यम से ₹6000 में उनको बेच देता था। यह खेल लंबे समय से चल रहा था, हैरान करने वाली बात यह है कि डॉक्टर ने अपने खुद के एजेंट जगह-जगह तैनात कर रखे थे। एक बड़ी चैन बनाकर काम करने वाले इस गिरोह का पर्दाफाश हो गया है पुलिस ने उस को हिरासत में ले लिया है। अब पूछताछ करके उसकी जांच पड़ताल की जा रही है। खुलासा हुआ है कि वह एक यूनिट ब्लड को डबल करके बेचता था, इस मिलावट में सलाइन वॉटर का प्रयोग करता था। सलाइन वॉटर मिलाने से किसी भी रक्त की मात्रा दोगुनी हो जाती है। इस तरह ‘धरती का यह भगवान’ कहा जाने वाला डॉक्टर मरीजों के जीवन से भी खुला खिलवाड़ कर रहा था।

उप्र एसटीएफ ने खून की तस्करी व मिलावट कर उसे अलग-अलग अस्पतालों व ब्लड बैंक में सप्लाई करने वाले गिरोह का राजफाश किया है। एसटीएफ ने यूपी यूनिवर्सिटी आफ मेडिकल साइंसेज सैफई में सहायक प्रोफेसर डा. अभय प्रताप सिंह और उसके साथी अभिषेक पाठक को गिरफ्तार किया है। दोनों के पास से 100 यूनिट खून बरामद किया गया है। दोनों हरियाणा, पंजाब, राजस्थान समेत अन्य प्रांतों से अवैध ढंग से दान किए गए खून की तस्करी करते थे और डिमांड के मुताबिक यह लोग ब्लड को अवैध तरीके से बेच देते थे।

एसटीएफ ने 26 अक्टूबर, 2018 को अवैध तरीके से खून निकालकर उसमें मिलावट के बाद दोगुना कर बेचने वाले गिरोह को पकड़ा था। तब पांच आरोपित गिरफ्तार कर जेल भेजे गए थे। इस बीच एसटीएफ को फिर सूचना मिली थी कि लखनऊ में रक्त तस्करी का गिरोह अभी भी सक्रिय है। इसके बाद टीम गठित कर लखनऊ-आगरा टोल प्लाजा के पास मुखबिर की सूचना पर एक कार को रोका गया। कार में डा. अभय सिंह सवार था। कार की तलाशी में गत्ते में रखे खून के पैकेट बरामद किए गए। पूछताछ में आरोपित ने बताया कि साल 2000 में उसने किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस किया था। 2007 में पीजीआइ लखनऊ से एमडी ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन की पढ़ाई की। 2010 में ओपी चौधरी ब्लड बैंक में एमओआइसी के पद पर नियुक्त हुआ। 2014 में उसने चरक हास्पिटल और 2015 में नयति हास्पिटल मथुरा में सलाहकार के पद पर काम किया है। आरोपित ने मैनपुरी और जगदीशपुर में भी सलाहकार पद के लिए आवेदन किया था। एसटीएफ का कहना है कि आरोपित की ओर से दी गई जानकारी का सत्यापन कराया जा रहा है।
आरोपितों ने पूछताछ में बताया कि वे जाली कागजों के जरिये लखनऊ के कई अस्पतालों में खून की सप्लाई करते थे। एसटीएफ के अनुसार आरोपित अलग-अलग राज्यों से 1,200 रुपये प्रति यूनिट खून खरीदकर चार से छह हजार रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बेच देते थे। खून की अधिक मांग होने पर आरोपित एक यूनिट ब्लड में सलाइन वाटर मिलाकर उसे दो यूनिट बनाकर बेच देते थे। आरोपित तस्करी कर लाए गए खून को वैध बताने के लिए फर्जी रक्तदान शिविर की फोटोग्राफी कराते थे। ताकि कोई यह न समझ सके कि इतनी बड़ी मात्रा में ब्लड कहाँ से आ रहा है।