न्यूज जंक्शन 24, बरेली।
जंक्शन के पार्सल घर में प्रेमनगर के दवा व्यवसायी की कैंसर पीड़ित बहन का शव बुधवार तड़के फंदे से लटकता मिला। सूचना पर जीआरपी व आरपीएफ ने शव कब्जे में लिया। मृतका की पहचान प्रेमनगर थाना क्षेत्र में बीबीएल स्कूल के पास लाल कोठी चौधरी तालाब निवासी दवा व्यवसायी अरविंद मिश्रा की बहन मंजू पांडेय (48) के रूप में हुई। परिवार वाले उसकी हत्या की आशंका जता रहे हैं। महिला को रात में बरेली जंक्शन पर घूमते देखा गया था।
जीआरपी इंस्पेक्टर विजय सिंह राणा ने बताया कि महिला के भतीजे आर्यन ने उसकी पहचान की। उसने बताया कि मंजू आठ नवंबर को मंदिर जाने की बात कहकर निकली थी। बरेली जंक्शन क्यों आई, इसकी जानकारी नहीं है। उनके गले में पार्सल पैकिंग वाली प्लास्टिक रस्सी का फंदा लगा था पर पैर जमीन से टिके थे। शव खिड़की से लटका था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद मौत का कारण स्पष्ट हो सकेगा। महिला का मोबाइल फोन एक स्मैकिया के पास मिला है। स्मैकिया को हिरासत में लिया है। मृतका क्रीम कलर, लाल और काले रंग की कैप लगाए है। बादामी कलर की शॉल ओढ़े थी। उसके पास से वोटर आईकार्ड मिला। मंगलवार रात को किसी ने बाइक स्टैंड के पास भी उसे लेटे देखा था।
मौत से तीन घंटे पहले 100-नंबर पर फोन, मुझे जान का खतरा
11 नवंबर की रात 12 बजकर 34 मिनट पर मंजू ने अपने फोन से 100 नंबर पर कॉल की थी। मंजू ने बताया था कि मुझे जान का खतरा है। कुछ लोग मेरे पीछे पड़े हैं। तीन घंटे बाद तड़के 3:10 बजे मंजू की लाश पर्सल घर की खिड़की में लटकी मिली। उसके गले में पार्सल पैकिंग वाली प्लास्टिक का फंदा कसा था। इससे हत्या का शक और गहरा गया है।
मोबाइल रखा था गिरवी
हिरासत में लिए गए स्मैकिया का कहना है कि सुबह किसी नेपाली व्यक्ति ने ₹90 रुपये में उस मोबाइल को गिरवी रखा था। कहा था कि उसे भूख लगी है। कुछ रुपए दे दो। हम आपके रुपए वापस कर देंगे तब तक मोबाइल रख लो। जीआरपी-आरपीएफ इस मामले की जांच पड़ताल कर रही है। उस नेपाली व्यक्ति को भी तलाश कर रही है। जिसने 90 में मंजू का मोबाइल स्मैकिया के पास गिरवी रखा था।
भतीजा बोला-फूफा की हादसे में हुई थी मौत
बीकॉम छात्र आर्यन का कहना है कि 14 साल पहले उनकी बुआ फरीदपुर के परा मोहल्ला में रहती थी। फूफा विनोद पांडेय का एक्सीडेंट हो गया। हादसे में उनकी मौत हो गई। उसके बाद से बुआ मंजू उनके साथ बरेली आ गईं। 13 साल से वह साथ ही रहती थीं। बुआ के कोई बच्चा नहीं है।
आठ दिन से लापता थी महिला
थोक दवा विक्रेता अरविंद मिश्रा के बेटे आर्यन मिश्रा ने बताया कि आठ नवंबर सुबह 7:00 बजे बुआ अलखनाथ मंदिर जाने के लिए निकली थीं। कहा था कि वह कुछ कपड़े लेकर जा रही हैं। वहां मंदिर के बाहर बैठे गरीब लोगों को देंगी। उसके बाद वह घर नहीं लौटी। उनका मोबाइल भी स्विच ऑफ जा रहा था। मंजू को कैंसर भी था। हाई ब्लड, प्रेशर,थाइराइड आदि कई बीमारियां थीं। बरेली के कई डॉक्टरों से उनका इलाज भी चल रहा था। दिल्ली एम्स में कैंसर का इलाज हुआ।
स्मैकिया ने फोन किया रिसीव, तब शक
आरपीएफ-जीआरपी मंजू पांडे के परिवार वालों को सूचना देने के लिए किला थाना में संपर्क कर रही थी। उसी बीच मृतिका मंजू के भतीजे आर्यन जीआरपी थाने में पहुंचे। वहां उन्होंने वोटर आईडी देखकर बुआ की पहचान की। जब उनसे नाम, पता नोट किया जा रहा था, तभी आर्यन ने कहा कि यह फोन तो मैं स्मैकिया से लेकर आया हूं। उसे किसी ने 90 रुपये में फोन बेचा है। हनुमान मंदिर और बाइक स्टैंड के पास पाकड़ के पेड़ नीचे बैठा है। यह सुनते ही आरपीएफ इंस्पेक्टर वीके सिसोदिया ,जीआरपी इंस्पेक्टर विजय सिंह राणा और एसआई मनोज यादव आदि आर्यन को साथ लेकर स्मैकिया के पास पहुंच गए। उसको हिरासत में ले लिया। आर्यन का कहना है कि बुआ मंजू पांडेय दो बैग लेकर निकली थीं। वह सामान भी गायब है। कई दिनों से मोबाइल बुआ का बंद था। बुधवार सुबह जब फोन नंबर डायल किया तो वह फोन जंक्शन पर मौजूद एक स्मैकिया ने रिसीव किया।
जंक्शन पर रात को रोते हुए देखी गईं मंजू
जीआरपी इंपेक्स्टर का कहना है, पिछले तीन दिनों से मंजू को बरेली जंक्शन पर देखा जा रहा था। स्टैंड के पास बैठी रहती थीं। कोई उन्हें रजाई गद्दा भी दे गया था। भीख मांगने वाले लोगों का कहना था, मंजू मंगलवार की रात भी रो रही थी। कह रही थी कि अब वह बच पाएंगी। उसको कैंसर है। सुबह को उसी मंजू की लाश पार्सल घर खिड़की में फंदे पर झूलते मिली।