सीएम आवास कूच कर रहे यूकेडी कार्यकर्ताओं का हंगामा, कईयों पर केस

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उत्तराखंड में राज्य सरकार द्वारा पर्वतीय मूल के दो व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज किए जा रहे मुकदमों के विरोध में बीते दिवस मुख्यमंत्री आवास कूच करना उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी) के सैकड़ों कार्यकर्ताओं को महंगा पड़ गया। इस दौरान रास्ते में कुछ अज्ञात कार्यकर्ताओं ने उत्पात मचाया, जिससे सरकारी कामकाज में बाधा उत्पन्न हुई। घटना के बाद चौकी प्रभारी की शिकायत पर पुलिस ने यूकेडी के अज्ञात कार्यकर्ताओं के खिलाफ थाना डालनवाला में मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

करनपुर चौकी प्रभारी ओमप्रकाश द्वारा दी गई शिकायत में बताया गया कि 8 अप्रैल को यूकेडी के नेतृत्व में सैकड़ों कार्यकर्ता परेड ग्राउंड के पास इकट्ठा हुए। ये कार्यकर्ता राज्य सरकार द्वारा पर्वतीय मूल के व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज किए जा रहे मुकदमों के विरोध में नारेबाजी करते हुए राजपुर रोड से न्यू कैंट रोड की ओर मुख्यमंत्री आवास की ओर कूच कर रहे थे। पुलिस ने शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए बल तैनात किया था।

चौकी प्रभारी ने बताया कि करीब 250 से 300 यूकेडी कार्यकर्ताओं ने एक वाहन में लाउडस्पीकर के माध्यम से सरकार विरोधी नारेबाजी की। ये कार्यकर्ता कनक चौक से ओरिएंटल चौक होते हुए राजपुर रोड और न्यू कैंट रोड से हाथीबड़कला बैरियर तक पहुंचे। इस दौरान, यूकेडी कार्यकर्ताओं के एक समूह ने कनक चौक के पास लगे सरकारी होर्डिंग और पोस्टरों को तोड़फोड़ कर नष्ट कर दिया, जो “सेवा, सुशासन और विकास के तीन साल” पूरा होने के उपलक्ष्य में सरकारी विभाग द्वारा लगाए गए थे। इससे सरकारी संपत्ति को नुकसान हुआ है।

इसके बाद पुलिस ने रैली को सड़क के एक किनारे करने का प्रयास किया, लेकिन यूकेडी कार्यकर्ता सड़क के बीचों-बीच बैठ गए, जिससे यातायात प्रभावित हुआ। सड़क के दोनों ओर लंबी कतारें लग गईं, और सरकारी एम्बुलेंस और अन्य इमरजेंसी वाहनों को भी कठिनाई का सामना करना पड़ा।

पुलिस ने आरोप लगाया कि यूकेडी कार्यकर्ताओं ने जानबूझकर सड़क पर बैठकर मार्ग अवरुद्ध किया और उत्पात मचाया। तहरीर के आधार पर अज्ञात कार्यकर्ताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।

इस बीच, यूकेडी नेताओं आशुतोष नेगी और आशीष नेगी के खिलाफ पुलिस कार्रवाई को लेकर पार्टी सरकार पर हमलावर है। यूकेडी ने इसे राजनीतिक प्रतिशोध करार देते हुए सरकार की कड़ी आलोचना की है। पार्टी का कहना है कि इस मुद्दे पर सरकार की कार्रवाई न केवल गलत है, बल्कि यह पर्वतीय समुदाय के खिलाफ साजिश का हिस्सा भी हो सकती है।