बदल गईं कोरोना संक्रमित मरीजों की लाशें, एक ने बिना देखे कर दिया अंतिम संस्कार। दूसरे ने मुंह देखा तो रह गया अवाक

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मेरठ। कोविड महामारी के दौरान तमाम जगह इतनी बड़ी लापरवाही हो जा रही है कि जिसकी कल्पना भी नहीं कि जा सकती। मेरठ में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की लापरवाही का ऐसा ही एक बड़ा मामला सामने आया है। जहां मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने दो कोविड पेशेंट के शव आपस में बदल डाले। एक के परिजनों ने तो बिना चेहरा देखे शव का अंतिम संस्कार भी कर डाला। मगर, जब गाजियाबाद निवासी परिजनों ने अपने पेशेंट का चेहरा देखा तो उनके होश उड़ गए। शव लेकर जब दुवारा पहुंचे और अपने परिजन का शव मांगा तो पता चला कि उसका अंतिम संस्कार हो चुका है। जिस पर सब अवाक रह गए। मामला संज्ञान में आने के बाद डीएम अनिल ढींगरा ने पूरे प्रकरण में जांच बैठा दी है।
दरअसल, गाजियाबाद जनपद के मोदीनगर निवासी गुरुवचन को पैरालाइसिस के चलते बीती तीन तारीख को मेरठ मेडिकल में भर्ती कराया गया था। जिसके बाद उनकी कोरोना जांच पॉजिटिव आई थी। उधर, कोरोना से पीड़ित मेरठ के कंकरखेड़ा क्षेत्र के फाजलपुर निवासी यशपाल को भी चार तारीख को मेडिकल के कोविड वार्ड में भर्ती कराया गया था। बताया जाता है शनिवार को यशपाल और गुरुवचन दोनों की ही मौत हो गई। जिसके बाद मेडिकल के डॉक्टरों ने औपचारिकताएं पूरी करते हुए दोनों के शव उनके परिजनों के हवाले कर दिए। कंकरखेड़ा निवासी यशपाल के परिजनों ने बिना चेहरा देखे उनके शव का देर रात अंतिम संस्कार भी कर दिया। उधर, मोदीनगर निवासी गुरुवचन के परिजन शव को लेकर श्मशान घाट में पहुंचे। परिजनों ने जैसे ही अंतिम दर्शन के लिए शव के चेहरे पर ढका कफन हटाया तो उनके होश उड़ गए। दरअसल, यह शव गुरुवचन का था ही नहीं। जिसके बाद सकते में आए गुरुवचन के परिजनों ने मामले की शिकायत मेरठ मेडिकल कॉलेज में की तो मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों के भी होश उड़ गए। पूरे प्रकरण की जांच कराई गई तो पता चला कि गुरुवचन और यशपाल के शव आपस में बदल गए हैं। घटना की जानकारी मिलते ही प्रशासनिक अधिकारियों ने इस मामले में सख्त तेवर अपना लिए हैं।
डीएम अनिल ढींगरा ने जहां पूरे प्रकरण में एडीएम सिटी और सीएमओ के नेतृत्व में जांच के लिए एक टीम का गठन कर दिया है। वहीं, मेडिकल के अधिकारी डॉ ज्ञानेंद्र चौहान ने दावा किया कि इस लापरवाही में शामिल किसी भी आरोपी को बख्शा नहीं जाएगा।