देहरादून। धर्मनगरी हरिद्वार के साधु-संतों ने उत्तराखंड में गैर हिंदुओं का प्रवेश रोकने की मांग की है। उन्होंने इसके लिए सन् 1916 में मदन मोहन मालवीय और अंग्रेज सरकार के बीच हुए समझौते का हवाला दिया है। संतों का तर्क है कि जब मक्का-मदीना और वेटिकन सिटी में केवल इन्हीं धर्म से जुड़े लोगों के प्रवेश की इजाजत है, तो देवभूमि में भी इस तरह का कानून बनाना चाहिए।
संतों के अनुसार, हरिद्वार नगर निगम के बाइलॉज में आज भी यह लिखा हुआ है कि गैर हिंदू हरकी पैड़ी के तीन किलोमीटर दायरे में नहीं रह सकते हैं। ऐसे में इस बाइलॉज को और विस्तारित कर राज्य स्तर पर लागू करना चाहिए। उनका कहना है कि देवभूमि हिमालय में हमारे हिंदू देवी देवताओं का वास है। लेकिन बीते सालों में पहाड़ों से लेकर ऋषिकेश-हरिद्वार तक तेजी से गैर हिंदुओं की संख्या में इजाफा हुआ है। गैर हिंदू पहाड़ों पर जमीन खरीद रहे हैं। हरिद्वार पहले ही यूपी के सहारनपुर, मुजफ्फरनगर और बिजनौर जैसे गैर हिंदू बाहुल्य जनपदों से घिरा है। ऐसे में केंद्र और राज्य सरकार को हिंदू धर्म और देवभूमि की रक्षा के लिए यह नियम तत्काल लागू करना चाहिए।
शांभवी पीठाधीश्वर स्वामी अानंद स्वरूप ने कहा कि उत्तराखंड देवभूमि है। जैसे मक्का मुस्लिमों और वेटिकन सिटी ईसाइयों का धर्मस्थल है और वहां दूसरे धर्मों के लोगों का प्रवेश वर्जित है, उसी तरह उत्तराखंड देवभूमि है और यहां हिंदुओं के अलावा दूसरे धर्मों के लोगों का प्रवेश नहीं होना चाहिए। वहीं, महामंडलेश्वर रुपेंद्र प्रकाश ने भी कहा कि जब मक्का मदीना और वेटिकन सिटी में गैर धर्मावलंबी काे प्रवेश नहीं करने दिया जाता तो देवभूमि में भी ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि यहां गैर हिंदू न आए। सरकार को इस पर विचार करना चाहिए।
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