निकाय चुनाव अधिसूचनाओं पर सुनवाई, सरकार को 2 दिन में जवाब देने का आदेश

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उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य में निकाय चुनावों को लेकर जारी अधिसूचनाओं को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर शुक्रवार को विस्तृत सुनवाई की। इस दौरान, मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने राज्य सरकार को दो दिन का समय दिया है, ताकि वह अपना पक्ष अदालत के सामने रख सके।

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कोर्ट को सूचित किया कि निकाय चुनावों की अधिसूचना पहले ही जारी की जा चुकी है और आरक्षण प्रक्रिया भी निर्धारित की जा चुकी है। राज्य सरकार ने यह भी कहा कि अब इस मामले में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप करने का कोई औचित्य नहीं है। हालांकि, कोर्ट ने मामले की पूरी सुनवाई के बाद 31 दिसंबर को अगली सुनवाई की तिथि तय की है।

निकाय चुनावों के खिलाफ दायर की गई याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि आपत्तियों का निस्तारण उचित तरीके से नहीं किया गया और आरक्षण प्रक्रिया भी नियमानुसार नहीं की गई। याचिकाकर्ताओं ने यह भी दावा किया कि दो नगर पालिकाओं में आरक्षण की प्रक्रिया पूरी नहीं की गई है। सितारगंज, अल्मोड़ा, ऋषिकेश और नरेंद्र नगर जैसे स्थानों से आपत्तियां आई हैं, जिनमें आरक्षण और आपत्तियों के निस्तारण को फिर से सही तरीके से करने की मांग की गई है। इन सभी मामलों को एक साथ सुनने के लिए हाईकोर्ट ने 31 दिसंबर की तिथि तय की है।

उत्तराखंड में निकाय चुनावों की तिथि 23 जनवरी 2025 तय की गई है, और इसके परिणाम 25 जनवरी को घोषित किए जाएंगे। इससे पहले, 23 दिसंबर को उत्तराखंड सरकार ने निकाय चुनावों के लिए आरक्षण की फाइनल लिस्ट जारी की थी, जिसमें कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए थे।

श्रीनगर नगर निगम की मेयर सीट, जो पहले सामान्य (अनारक्षित) थी, अब महिला के लिए आरक्षित कर दी गई है। वहीं, अल्मोड़ा नगर निगम की मेयर सीट, जो पहले महिला के लिए आरक्षित थी, अब ओबीसी के लिए आरक्षित की गई है। हल्द्वानी नगर निगम की मेयर सीट, जो पहले ओबीसी के लिए आरक्षित थी, अब सामान्य सीट के रूप में बदल दी गई है। अब हाईकोर्ट की अगली सुनवाई के बाद, इन मुद्दों पर अदालत द्वारा फैसला लिया जाएगा, जो चुनाव की दिशा तय करेगा।