उत्तराखंड विधानसभा का चार दिवसीय मॉनसून सत्र शुरू होने के दूसरे ही दिन विपक्ष के तीखे विरोध और हंगामे के चलते अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। सत्र की शुरुआत 19 अगस्त को हुई थी, लेकिन पहले दिन से ही सदन का माहौल तनावपूर्ण बना रहा।
विपक्ष नैनीताल के जिलाधिकारी के तबादले, एसएसपी के निलंबन और कांग्रेस नेताओं पर दर्ज मुकदमों की वापसी की मांग को लेकर लगातार सरकार पर दबाव बना रहा था। मांगें न माने जाने पर विपक्षी विधायकों ने सदन के भीतर पोस्टर लहराकर विरोध दर्ज कराया। स्थिति बिगड़ती देख विधानसभा के मार्शलों ने हस्तक्षेप करते हुए पोस्टर हटवाए।
विपक्ष के भारी विरोध के बावजूद सरकार ने सत्र के दौरान त्वरित कार्रवाई करते हुए ₹5,315.89 करोड़ का अनुपूरक बजट और 9 महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित करवा लिया।
सदन में पारित प्रमुख विधेयक:
उत्तराखंड धर्मांतरण प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक 2025
जबरन धर्मांतरण पर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान।
समान नागरिक संहिता (संशोधन) विधेयक 2025
लिव-इन रिलेशनशिप में धोखाधड़ी करने पर सख्त सजा का प्रावधान।
उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक 2025
सभी अल्पसंख्यकों के लिए एक प्राधिकरण गठित किया जाएगा, जिससे मदरसों को मान्यता मिल सकेगी।
उत्तराखंड पंचायती राज (संशोधन) विधेयक 2025
उत्तराखंड निजी विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक 2025
उत्तर प्रदेश श्री बद्रीनाथ तथा केदारनाथ मंदिर अधिनियम 1939 (संशोधन) अध्यादेश 2025
उत्तराखंड लोकतंत्र सेनानी सम्मान विधेयक 2025
उत्तराखंड साक्षी संरक्षण विधेयक 2025
ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत (आरक्षण एवं पद आवंटन) नियमावली 2025
पहले दिन कार्यवाही स्थगित होने के बाद विपक्षी विधायक रातभर धरने पर बैठे रहे, और अगली सुबह भी प्रदर्शन जारी रखा। सरकार की ओर से समझाने-बुझाने की तमाम कोशिशें नाकाम रहीं।
सरकार का आरोप है कि विपक्ष सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए सदन को बाधित कर रहा है, जबकि विपक्ष का कहना है कि सरकार लोकतंत्र की आवाज़ दबा रही है और जनता के प्रतिनिधियों को सुना नहीं जा रहा।
20 अगस्त को विधानसभा अध्यक्ष ने भारी हंगामे के बीच सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने की घोषणा की। इससे पहले सरकार ने तय सभी विधेयकों और बजट प्रस्तावों को पारित कर लिया।







