न्यूज जंक्शन 24, हल्द्वानी। करीब अाधी सदी के बहुप्रतिक्षित जमरानी बांध (Jamrani Dam) के निर्माण के लिए शासन- प्रशासन ने एक और कदम आगे बढ़ाया हैै। अब इस बांध की जद में आ रहे 6 गांवों में जमीन की खरीद- फरोख्त पर रोक लगा दी गई है। ऐसा भूमि अधिग्रहण से जुड़ी धारा 11 के लागू होने के कारण हुआ है। इसका नोटिफिकेशन जारी हो चुका है।
जमरानी बांध (Jamrani Dam) निर्माण की सबसे पहले पहल 46 साल पहले 1975 में हुई थी। तब उत्तराखंड उत्तर प्रदेश का ही हिस्सा था। करीब 400 हेक्टेयर जमीन पर इसका निर्माण होना है। उस समय इसकी लागत 61 करोड़ रुपये आंकी गई थी, मगर राजनीति की रस्साकसी में फंसकर इस बांध का निर्माण लटकता गया, जिससे इसकी लागत वर्तमान में 2700 करोड़ पहुंच गई है। यह बड़ा चुनावी मुद्दा भी बन चुका है।
धारा 11 को लेकर आदेश आ चुका है। नोटिफिकेशन प्रकाशित होने के बाद स्वत: इस इलाके में जमीन की बिक्री व खरीद पर प्रतिबंध लगा जाएगा। विस्थापन व पुनर्वास को लेकर भी उम्मीद है कि जल्द शासन स्तर से फैसला हो जाएगा।
बीबी पांडे, ईई जमरानी परियोजना
एडीबी की तरफ से बजट को मंजूरी मिलने से लोगों की उम्मीद और बढ़ी थी। क्योंकि, स्थानीय लोग पहले ही प्रोजेक्ट को स्वीकृति दे चुके थे। पूर्व में धारा आठ के तहत होने वाली सभी प्रक्रिया पूरी हो चुकी हैं। इसके तहत लोगों को बांध निर्माण की जरूरत के साथ विस्थापन को लेकर की जाने वाली कवायद के बारे में विस्तार से बताया गया था। इसके बाद से ग्रामीण धारा 11 लागू करने की मांग कर रहे थे। ताकि अधिग्रहण और विस्थापन को लेकर असमंजस की स्थिति दूर हो सके। अब शासन के निर्देश पर यह मांग पूरी हो चुकी है।
ये गांव आ रहे जद में
बांध (Jamrani Dam) निर्माण की जद में आने वाले छह गांवों में तिलवाड़ी, मुरकुडिय़ा, गंदराद, पनियाबोर, उदुवा और पस्तोला शामिल है।
उत्तराखंड के साथ यूपी को होगा लाभ
जमरानी बांध (Jamrani Dam) के निर्माण से उत्तराखंड को करीब 9458 हेक्टेयर और उत्तर प्रदेश को 47607 हेक्टेयर में अतिरिक्त सिंचाई की सुविधा मिलेगी। इस बांध से 14 मेगावाट बिजली का उत्पादन भी प्रस्तावित है, जबकि उत्तराखंड को 52 क्यूबिक मीटर पानी भी पेयजल के लिए मिल सकेगा। वहीं, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को 57 और 43 के अनुपात में पानी बंटेगा।
एक नजर में जमरानी बांध परियोजना
- 1975 में बांध निर्माण की स्वीकृति
- करीब 9 किलोमीटर की लंबाई में 130 मीटर ऊंचा और 480 मीटर चौड़ा बांध
- 46 साल पहले बांध की लागत 61 करोड़
- वर्तमान में बांध परियोजना की लागत 2700 करोड़ के आसपास, यानी 46 सालों में लागत 39 गुना बढ़ गई
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