एनजे, लखनऊ : उत्तर प्रदेश के किसानों को मौसम की बेरुखी से होने वाली क्षति बहुत जल्द कम से कम हो जाएगी। राजस्थान-महाराष्ट्र समेत अन्य विकसित राज्यों की भांति यूपी के काश्तकारों को भी मौसम के मिजाज में होने वाले हर बदलाव का पता पहले ही चल जाएगा और वे उस हिसाब से अपनी खेती-किसानी की योजना बना सकेंगे।
साथ ही खेती से जुड़ी हर तैयारियों को मौसम के तेवरों के अनुसार ही अंजाम भी दे सकेंगे। इसके लिए राज्य में शीघ्र ही 2500 ऑटोमेटिक स्टेशन स्थापित करने की तैयारी है। यह वेदर स्टेशन मौसम के मिजाज में होने वाले पल-पल के बदलाव की जानकारी पहले ही दे देगा।
मौसम पूर्वानुमान से जुड़े एक प्रस्ताव पर राज्य सरकार गहनता से विचार कर रही है। सूत्रों का कहना है कि प्रस्ताव पर सहमति बन चुकी है। इसके तहत न तो सरकार को और न ही किसानों को पैसे खर्च करने होंगे। बस सरकार को केवल अपनी ओर से ग्राम सभा या अन्य सरकारी एजेन्सियों की निष्प्रयोज्य जमीनें, इसमें ऊसर-बंजर भूमि भी हो सकती है, का प्रदेश भर में 2500 स्थानों पर 35 वर्गमीटर भूमि का टुकड़ा वेदर फोरकास्ट कंपनी को आवंटित करना होगा। स्टेशनों की स्थापना के बाद सरकार को नियमित रूप से मौसम के पूर्वानुमानों की जानकारियां मिलने लगेंगी। प्रदेश में 824 ब्लॉक हैं। ऐसे में एक ब्लॉक में अधिकतम तीन वेदर स्टेशन आसानी से स्थापित हो जाएंगे।
वेदर स्टेशनों से मिलेंगी ये जानकारियां
-तापमान कैसा रहेगा, हवा का रुख और उसकी गति
-वर्षा की क्या स्थिति रहेगी। कब और कितनी बारिश होगी।
-आसमान में मेघ कब छाएंगे और कब तक वह अपना डेरा डाले रहेंगे।
-आर्द्रता कितनी रहेगी। इसमें कितना उतार-चढ़ाव होगा।
बीमा एवं अन्य कामर्शियल कंपनियों से होगी भरपाई
वेदर फोरकास्ट कंपनी प्रदेश में स्थापित होने वाली ऑटोमेटिक वेदर स्टेशनों से प्राप्त जानकारियां फसल बीमा कंपनियों से लेकर पंखा, कूलर, एसी व रेफ्रिजरेटर बनाने वाली कंपनियों को बेचकर वेदर स्टेशनों की देखरेख का खर्च निकालेगी। फसल बीमा कंपनियों को फसल क्षतिपूर्ति के भुगतान में वेदर रिपोर्ट की जरूरत होती है। इसी प्रकार से पंखा, कूलर, एसी व रेफ्रिजरेटर कंपनियां भी मौसम के मिजाज का अध्ययन करने के बाद ही नए उत्पाद बाजारों में उतारती हैं। इसमें भी पहले वेदर रिपोर्ट का अध्ययन करती हैं।