बरेली। आकाशवाणी बरेली अपने किसी श्रोता की फरमाइश पूरी करना भले भूल जाए मगर फजरुद्दीन की फरमाइश हर हाल में पूरी करता है। फजरुद्दीन आकाशवाणी बरेली से उसके स्थापना वर्ष 1993 से जुड़े हुए हैं। 55 साल के फजरुद्दीन हर महीने 100 से 150 फरमाइशी पत्र आकाशवाणी को भेजते हैं। इन पत्रों के लिफाफे पर सलमा-सितारे जड़े रहते हैं।
उड़ला जागीर गांव के रहने वाले फजरुद्दीन मजदूरी करते हैं। बचपन से ही उन्हें रेडियो सुनने का शौक रहा। आकाशवाणी बरेली की शुरुआत होने से पहले वो आकाशवाणी रामपुर को पत्र भेजते थे। 1993 में आकाशवाणी बरेली शुरू हुई। उसके बाद बरेली में पत्र भेजने का सिलसिला शुरू हो गया। शुरू में फजरुद्दीन के पत्र सामान्य श्रोताओं की ही तरह देखे जाते थे। धीरे-धीरे कर उनके पत्रों की संख्या इतनी ज्यादा बढ़ गई कि वो अधिकारियों की निगाहों में आ गए। आज रेडियो सुनने वालों की संख्या कम हो चुकी है। लोग मोबाइल और टीवी में ही उलझे रहते हैं। फजरुद्दीन के लिए अब भी रेडियो ही पहला प्यार है। रेडियो में भी आकाशवाणी बरेली से उन्हें सबसे ज्यादा लगाव है।
लिफाफे पर जड़े रहते हैं सितारे
सबसे खास बात यह है कि फजरुद्दीन पढ़े-लिखे नहीं हैं। वो अपने पत्र किसी और से लिखवाकर भिजवाते हैं। अपने पत्र को खूबसूरत बनाने के लिए वो बहुत मेहनत करते हैं। वो पत्रों के लिफाफे पर सितारे टांक कर भेजते हैं। आकाशवाणी के सभी अधिकारियों-कर्मचारियों के नाम भी सितारों से लिखकर भेजते रहते हैं। आकाशवाणी के प्रति उनके प्रेम को देखकर उनके पत्रों को कार्यक्रमों में तत्काल ही शामिल कर लिया जाता है।
अपने नाम की छपवा रखीं हैं पर्चियां
फजरुद्दीन पढ़े-लिखे नहीं हैं। अब उन्होंने अपने नाम और पते की पर्चियां छपवा ली हैं। आकाशवाणी को पत्र भेजते समय इन्हें पर्चियों को वो लिफाफे पर चिपका देते हैं।
आकाशवाणी ने किया फजरुद्दीन को सम्मानित
आकाशवाणी बरेली के सबसे पुराने श्रोताओं में शामिल फजरुद्दीन को बुधवार को केंद्राध्यक्ष मीनू खरे और कार्यक्रम अधिशासी डा अजय वीर सिंह ने सम्मानित किया। किसानवाणी के कंपीयर गुरुदेव मिश्रा ने फजरुद्दीन को बधाई दी। फजरुद्दीन ने भी आकाशवाणी परिवार से मिले सम्मान के लिए धन्यवाद दिया।