नई दिल्ली। भारत के 23 वर्षीय युवा जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलिंपिक में इतिहास रच दिया। उन्होंने शनिवार को इस ओलंपिक मुकाबले में भारत के लिए पहला गोल्ड मेडल जीता। ओलिंपिक इतिहास में यह पहली बार है, जब किसी एथलीट ने जैवलिन थ्रो प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीता है। इसके अलावा वो भारत की तरफ से ओलिंपिक इतिहास में गोल्ड मेडल जीतने वाले दूसरे खिलाड़ी बने। उनसे पहले शूटर अभिनव बिंद्रा ने ये कमाल 2008 बीजिंग ओलिंपिक में 10 मीटर एयर राइफल में किया था।
फाइनल मुकाबले में नीरज की शुरुआत अच्छी रही और उन्होंने पहले थ्रो में 87.03 मीटर भाला फेंककर अपने इरादे जाहिर कर दिए। पहला राउंड खत्म होने के बाद वो पहले स्थान पर रहे। दूसरे राउंड में नीरज ने पहले से ज्यादा दम दिखाते हुए भाले को 87.58 मीटर दूर फेंका। दूसरे राउंड में वो पहले स्थान पर रहने में कामयाब रहे। तीसरे राउंड में नीरज थोड़ा नीचे आ गए और 76.89 मीटर भाला ही फेंक पाए, लेकिन वो टॉप पर बने रहे। चौथे राउंड में उनके थ्रो को अमान्य करार दिया गया, लेकिन इसके बावजूद वो पहले स्थान पर बने रहे। पांचवें राउंड में नीरज चोपड़ा का थ्रो फिर से अमान्य करार दिया गया इसके बावजूद वो टॉप पर मौजूद रहे।
फाइनल के छह राउंड में नीरज ने सबसे ज्यादा दूर 87.58 मीटर भाला दूसरे राउंड में फेंका था और किसी अन्य खिलाड़ी ने इस दूरी को पार करने में कामयाबी हासिल नहीं की और इसके आधार पर उन्हेंं गोल्ड मेडल विनर करार दिया गया।