नई दिल्ली। देश का पूर्वोत्तर राज्य नागालैंड एक नया इतिहास रचने जा रहा है। यहां पर बिना विपक्ष के ही सरकार चलेगी। बिना विपक्ष के सरकार चलाने वाला नागालैंड देश का इकलौता राज्य होगा। नागालैंड की सभी पार्टियों ने बिना विपक्ष एक साथ मिलकर सरकार चलाने का फैसला लिया है।
नागालैंड विधान सभा में प्रतिनिधित्व करने वाले सभी राजनीतिक दलों ने एक सर्वदलीय सरकार के गठन को अंतिम रूप दिया और सत्ता पक्ष और सभी विपक्षी दलों ने हाथ मिलाया। नई सरकार को संयुक्त लोकतांत्रिक गठबंधन के नाम से जाना जाएगा। इसमें भाजपा भी शामिल है।
दरअसल, राजधानी कोहिमा में मुख्यमंत्री नेफियू रियो की अध्यक्षता में हुई बैठक में विपक्ष रहित सरकार अपनाने के लिए सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास किया गया। मुख्यमंत्री नेफियू रियो ने इस फैसले के बाद ट्वीट किया और कहा कि नागालैंड में विपक्ष रहित सरकार के लिए संयुक्त लोकतांत्रिक गठबंधन (यूडीए) का नामकरण हुआ है। एनडीपीपी, भाजपा, एनपीएफ और निर्दलीय विधायकों के पार्टी नेताओं और विधायकों ने सर्वसम्मति से यह फैसला लिया है।
वहीं, नागालांड सरकार की प्रवक्ता नीबा क्रोनू ने बताया कि विधायक अगले कुछ दिनों में यूडीए के गठन के लिए विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखेंगे। पहले यह घोषणा की गई थी कि नई सरकार को नागालैंड संयुक्त सरकार कहा जाएगा, लेकिन शनिवार को हुई बैठक में इसे संयुक्त लोकतांत्रिक गठबंधन (यूडीए) नाम पर ही मुहर लगी।
दरअसल, 19 जुलाई को मुख्य विपक्षी दल नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) ने बिना किसी पूर्व शर्त के एक सर्वदलीय सरकार बनाने के लिए विधानसभा में एक प्रस्ताव रखा और मुख्यमंत्री से इस पर विचार करने का अनुरोध किया गया । इस प्रस्ताव का मकसद संयुक्त रूप से नगा मुद्दे को शीघ्र समाधान पर जोर देना है।
शुरू में सत्तारूढ़ नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) ने इस कदम की सराहना की, लेकिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इसे मानने से इनकार कर दिया। हालांकि, मुख्यमंत्री रियो ने भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को विश्वास में लेकर इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया।
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